पृथ्वीराज चौहान का किला अजमेर – Prithviraj Chauhan Smarak Ajmer

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अजमेर में पृथ्वीराज चौहान का किला कहाँ पर है? | Prithviraj Chauhan ajmer fort in Hindi 

आज से दस साल पहले जब मैं अजमेर गया था तब नगर निगम के बड़े बोर्ड पर लिखा था ‘ पृथ्वीराज चौहान की नगरी अजमेर में आपका स्वागत है ‘ ये लाइन में मेरे दिमाग में इस तरह बैठ गई थी की मुझे यही से पता चला की अजमेर में पृथ्वीराज जी ने शाषन किया था और इनका किला या स्मारक भी बना हुआ है। लेकिन उसके बाद ना जाने कितनी बार अजमेर शहर की यात्रा की लेकिन कही पर ये ऐतिहासिक जगह दिखी ही नहीं। ठीक दस साल बाद में किसी काम के मकसद से अजमेर शहर गया था इस बार मेरे बकेट लिस्ट में सबसे पहला स्थान पृथ्वीराज चौहान का किला देखना था। उनके किले में जाकर उनको प्रमाण करना था उनके सामने नतमस्तक होकर भारत देश की सेवा करने के लिए धन्यवाद देना था। यहाँ पर जाना इतना आसान भी नही है जितना आप सोच रहे हैं ये शहर में ही एक दुर्गम जगह पर स्थित है। लेकिन हर सच्चा सनातनी (हिन्दू) और देशभक्त इंसान यहाँ पर जरूर जायेगा। पृथ्वीराज चौहान स्मारक का निर्माण अजमेर नगर निगम न्यास द्वारा करवाया गया था। ये स्मारक तारागढ़ किले के रोड पर ही दाएं तरफ आया हुआ है। जिसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट में दी गई है।

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पृथ्वीराज चौहान स्मारक कितने बजे खुलता है? Prithviraj Chauhan Smarak Timings)

सुबह 9 बजे खुल जाता है और शाम 10 बजे बंद हो जाता है। हर मौसम में इसकी टाइमिंग्स बदलती है। आपके लिए टिप्स व सुझाव यह है की संध्याकाल 6 बजे से 7 बजे तक घूमना-फिरना आपके लिए उचित है क्योंकि अंदर जंगल टाइप है और पूरा पहाड़ी इलाका है तो जंगली छोटे जीव प्रवेश कर सकते हैं। 

पृथ्वीराज चौहान स्मारक का पता (Prithviraj Chauhan Fort Address in Hindi)

तारागढ़ किला रोड, लाजपत नगर, रामगंज, अजमेर राजस्थान। पिनकोड 305003। रेलवे स्टेशन से मात्र सात 7 किलोमीटर दूर है।
Rajput Samrat Prithviraj Statue, Taragarh Rd, Lajpat Nagar, Ramganj, Ajmer, Rajasthan 305003

पृथ्वीराज चौहान स्मारक देखने का टिकट कितना है? (Prithviraj Chauhan Smarak Ticket price)

यदि आप विद्यार्थी हो तो आपके लिए प्रवेश शुल्क 5 रूपये है। अन्य सभी आयुवर्ग के लोगो के लिए टिकट की कीमत दस रूपये Rs.10/-  INR है। टिकट आपको बाहर ही खिड़की पर मिल जायेगा। एक टिकट तीन घण्टे के लिए वैलिड है। मेरा नगर1निगम अजमेर और इस स्मारक के व्यवस्थापक से अनुरोध है की जो लड़के-लड़की सिर्फ मजे मारने के लिए यहाँ पर आते हैं उनको लात मारकर बाहर भगाया जाए। क्योंकी ये कोई रोमांटिक प्लेस नही है। ऐसे प्रेमी युगल के कारण जो लोग परिवार के साथ यहाँ पर घूमने आते हैं उनको शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसे लोगो को स्मारक के अंदर प्रवेश देने का मतलब है हमारे देश के शूरवीरों का अपमान। ये एक ऐतिहासिक और देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाला स्थान है। जो भी व्यक्ति इस पोस्ट को पढ़ रहा है कृपया इसकी सूचना PRC स्मारक व्यवस्थापक को देने की कृपा करावे।

पृथ्वीराज किले पर कैसे पहुँचे? ( How to Reach Prithviraj Chauhan Smarak Ajmer)

यदि आप Ola या Uber कैब सर्विस से जाना चाहते हैं या खुद की कार है तो आप सीधा वहाँ पर आराम से पहुँच सकते हैं। इसके अलावा ऑटो रिक्शा भी आप तारागढ़ किले जाने वाले मैन रोड से किराए पर ले सकते हैं। रेलवे स्टेशन से पाँच 5 नम्बर टेम्पो में बैठे। यदि आप मेरी तरह किसी कारणवश पैदल एंव Hitchhiking (हीचहाईकिंग) से यात्रा करना चाहते हैं तो मैं अपना अनुभव साझा करता हूँ। आपको सबसे पहले अजमेर रेलवे स्टेशन से बड़े टेम्पो में तारागढ़ किले का नाम लेकर बैठ जाना है उनको बोलना किले के अंदर नही जाना है जहाँ पर रास्ता शुरू होता है उस सड़क पर उतार दो। तरागढ़ किले रोड से मात्र 4 किलोमीटर ही दूर है पहले पृथ्वीराज चौहान खेल मैदान आयेगा उसके बाद स्मारक। सबसे अच्छी बात यह है की जगह-जगह पर ‘पृथ्वीराज चौहान स्मारक’ जाने के लिए सड़क संकेत चिन्ह लगे हुए हैं। जिससे बिना किसी पूछताछ आप आसनी से पहुँच सकते हैं। एक बड़ी गलती जो मैंने की, आपको पृथ्वीराज चौहान स्मारक सीधा नही बोलना है क्योंकी वहाँ के ज्यादातर लोगों को इसके बारे में मालूम भी नहीं है।  आपको सीधा ‘तारागढ़ फोर्ट’ या तारागढ़ बोलना है। Taragarh Fort से दो किलोमीटर पहले आपको यह स्मारक दिख जायेगा।

किले के रास्ते से पूरा अजमेर शहर देख सकते है

यदि आपको अजमेर में एक शानदार सेल्फी पॉइंट चाहिए तो इस स्मारक से बढ़िया कोई जगह नही। यहाँ से रोड पर उतरकर आप पूरे अजमेर सिटी के सुंदर नजारे को सकते हैं। वही रात को ” Ajmer City Night Seen “  देखना हो तो भी यही जगह है यहाँ पर मार्ग 24 घण्टे खुला रहता है। पृथ्वीराज चौहान स्मारक के अंदर जाकर भी आप हूबहू दृश्य देख सकते हैं। सुबह और शाम दोनों समय।

बहुत सारे औषधीय पौधे लगे हुए हैं।

यदि आप प्रकृति-प्रेमी है तो ये स्मारक आपको बहुत पसंद आयेगी। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगे हुए हैं। इसके अलावा बर्ड्स लवर के लिए भी अच्छा स्थान है। अत्याधिक पेड़ होने के कारण आप यहाँ पर अद्वितीय पक्षियों को देखने का भी मौका मिलता है।

संकल्पदीर्घा

इस छोटे से रूम के अंदर  सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बलिदान को साक्षी मानते हुए आपको अजमेर नगर निगम द्वारा शपथ दिलाई जाती है। की आप भी अपना तन मन और धन भारत माता की रक्षा के लिए लगाए। भारत की रक्षा करना हम सब भारतीयों का पहला कर्तव्य है।

ही पर पृथ्वीराज चौहान अपनी आराध्य देवी माँ चामुंडा की पूजा अर्चना करते थे

स्मारक के अंदर हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के स्टेच्यू के थोड़ा सा आगे ही एक चामुंडा माता का मन्दिर है जहाँ पर स्वयं राजा पृथ्वीराज जी पूजा करते थे। दुःख की बात यह है की इतना पवित्र स्थल होने के बावजूद इसके बारे में इतिहास का शिलालेख बाहर नही लगा हुआ है जिससे लोग बाहर से ही निकल जाते हैं जब आप लाल रंग के दरवाजे के ऊपर लगे शीशे में नजदीक जाकर देखोंगे तो आपको हिंदी में लिखा हुआ बोर्ड भी दिखेगा और चामुंडा माता की मूर्ति भी दिखेगी।ये भी PRC Smarak में ही बना हुआ है। बाहर भैरुनाथ जी का छोटा मंदिर है। मंदिर के अंदर जाकर कांच में देखे।

शब्दभेदी धनुधर पृथ्वीराज चौहान प्रर्दशनी

इसको देखने के बाद मुझे गर्व होता है अपने ऋषि परम्परा और सनातन (हिन्दू) धर्म पर जहाँ गुरुकुल के बच्चो को शब्दभेदी बाण विद्या सीखाई जाती थी। इसी शब्दभेदी बाण विद्या का इस्तेमाल करके  पृथ्वीराज जी ने विदेशी आक्रांता मोहम्मद गौरी को मौत के घाट सुलाया था। धन्य है भारत के महान सपूत पृथ्वीराज,  नेत्रहीन अवस्था में दुश्मन को मारना यह बहुत बड़ी बात है।

चन्द्रवरदाई दीर्घा और वीर संयमराज

वीर संयमराज पृथ्वीराज चौहान के सेनापति थे। एक बार युद्ध में पृथ्वीराज जी घायल अवस्था में जमीन पर गिर गए थे तभी गिद्धों के झुंड ने उन्हें मृत समझकर पृथ्वीराज पर टूट पड़े। ये दृश्य युद्ध में घायल वीर संयमराज देख नही पाए वे अपने पास पड़ी तलवार उठाकर अपनी जंघाओं पर तलवार से वार करके मांस के टुकड़े तबतक गिद्धों को खिलाते रहे जबतक की पृथ्वीराज की सेना उन्हें उनके राजा को ढूढ नही लेती। इस तरह पृथ्वीराज के सेनापति संयमराज ने अपनी जान की बाजी लगाकर तेजस्वी योद्धा पृथ्वीराज को बचाकर अपने आप को इतिहास के अक्षरों में अमर कर दिया।

FAQ सवाल जवाब

अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़े कितने स्थल अजमेर शहर में बने हुए हैं?

भारतवर्ष के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़े कुल तीन स्थल अजमेर में बने हुए हैं। जिसमें सबसे पहला नाम पृथ्वीराज चौहान कॉलेज, दूसरा सम्राट पृथ्वीराज चौहान खेल मैदान (Play Ground) और तीसरा नगर निगम द्वारा बनाया गया ऐतिहासिक स्मारक। खेल मैदान इतना विशालकाय है की आराम से क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी व अन्य मैच खेले जा सकते हैं।

दिल्ली में स्थित पृथ्वीराज चौहान के किले का नाम क्या है? (fort of prithviraj chauhan in delhi)

उत्तर – किला राय पिथौरा नामक नई दिल्ली में एक प्राचीन जगह है। इस किले को लालकोट भी कहा जाता है।  इसका निर्माण हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज ने करवाया था।

पृथ्वीराज चौहान स्मारक से तारागढ़ का किला कितना दूर हैं?

स्मारक से मात्र दो किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी नींचे के उपबिन्दु में पढ़े।

तारागढ़ किले का इतिहास (taragarh fort ajmer in hindi)

सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आप यदि पृथ्वीराज चौहान का किला समझकर तारागढ़ फोर्ट जा रहे हैं तो आपका सिर्फ समय बर्बाद होंगा और दूसरा ये बहुत खतरनाक रास्ता है एक चूक आपकी जान ले सकती है। अजमेर P.R.C स्मारक के रास्ते से दो किलोमीटर दूर ऊंचाई पर स्थित इस तारागढ़ किले का निर्माण अजमेर शहर को बसाने वाले राजा अजयपाल सिंह ने करवाया था। और उनकी पत्नी तारा के कहने पर इसका पुननिर्माण करवाया जिससे इसका नाम तरागढ़ पड़ा। यदि इस किले के जाने और आने के रास्ते में आपको 20 से 30 प्रतिशत कट्टर मुस्लिम दिखे तो घबराए नही। तारागढ़ किले में एक दरगाह बनी हुई है वही पर नतमस्तक होने ये लोग जाते हैं।लेकिन 70% पर्यटक हिन्दू ही होते हैं जो पृथ्वीराज जी को प्रणाम करके उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करके आगे किले की और राजा अजयपाल सिंह द्वारा बनाए गए अदभुत किले को देखने के लिए जाते हैं। किले में तीन दरवाजे, झील और एक गर्भगूँजन तोप है।


आज आपने भारत के अंतिम राजपूत हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के अजमेर में स्थित किले (prithviraj chauhan fort in ajmer) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की। अपने सवाल / सुझाव / विचार नीचे ब्लॉग कॉमेंट बॉक्स में लिखे। हर भारतीय सनातनी हिन्दू देशभक्त तक ये पोस्ट जानी चाहिए।

 

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