सनातन (हिन्दू) धर्म एक सर्वश्रेष्ठ सभ्यता (Sanatan Dharma Facts)

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Sanatan Dharma Facts In Hindi

भारतीय संस्कृति के अंतर्गत सभी धर्मों के लोग आते है। चाहे वो किसी भी धर्म व सम्प्रदाय का व्यक्ति क्यों न हो। लेकिन जब सनातन धर्म की बात आती है तो उसमें सिर्फ हिन्दू धर्म के लोग आते है। देखिए जिस देश में किसी धर्म की बहुसंख्यक आबादी रहती है उस देश के लोगो को जाने-अनजाने में मजबूरी में या खुद की व्यक्तिगत इच्छा से उस ज्यादा जनसंख्या वाले धर्म के रीति-रिवाजों का पालन करना पड़ता है। अब कुछ धर्मो में सबकुछ ही गलत होता है जिससे पूरे देश में निवास कर रहे अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को भी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन आज हम बात कर रहे अपने देश भारत (हिन्दुस्तान, india) की भारतीय संस्कृति (indian culture) की जिसके कारण इस देश में निवास कर रहे लोगो को फायदा ही फायदा मिलता है। भारतीय संस्कृति का महत्व, सनातन हिन्दू धर्म की विशेषता, उसके बारे में सारे महत्वपूर्ण सवालो का जवाब इस पोस्ट में दिया गया है। ताकी आप गर्व से किसी भी देश में जाकर ये बोल सके की मुझे भारतीय होने पर गर्व है।

भारतीय वस्त्र धोती और कुर्ता (Indian traditional dress information in Hindi)

bhartiya veshbhusha, sanatan dharma facts in hindi,सबसे पहले बात करते है भरतीय पोशाक यानी की कपड़ो की। जो हमारे ऋषियों ने बड़े गहरे शोध के बाद इसको वैदिक कल्चर के अंदर डाला था। जब आप धोती पहनते हैं तो आपके शरीर के सभी अंगों में हवा पहुँचती है, सूर्य का प्रकाश स्पर्श करता है, जो की बहुत जरूरी है। हमारे भारत में सारे ऋषि धोती ही पहनते थे। आज भी हमारे देश के बुजुर्ग लोगो ने इस भारतीय कपड़ो की जीवनशैली को जिंदा बनाये रखा है। आप राजस्थान आ जाइये, 50 या 60 साल के सभी लोग आपको धोती और कुर्ता में ही दिखेंगे। आप दक्षिण भारत में चले जाइये वहाँ के सभी लोग लूंगी या धोती में ही घूमते है। यहाँ तक की जो करोडो रूपये कमाने वाले South Indian Movie स्टार होते हैं वे तो अपने फ़िल्म प्रमोशन में, अवार्ड समारोह में, अपने उत्सवों पर भारतीय वस्त्र धोती ही पहनते हैं।

भारतीय संस्कृति में इन सब चीजों की पूजा होती है  (why hindu worship so many things in Hindi)

भारतीय संस्कृति (इंडियन कल्चर) को दुनिया में सबसे अच्छी और आदर्श सभ्यता माना गया है। हमारे सनातन हिन्दू धर्म के लोग उन सभी पर्दाथ, चीजो, वस्तुओं, सजीव व निर्जीव चीजो को पूजते हैं जो की हमे जीवन देते है। मतलब जो भी चीज देश, पर्यावरण व मानव जीवन के लिए हितकारी है उनकी भारतीय लोग पूजा-अर्चना करते है उनका सम्मान करते है। उनके निम्मित गरीबो को भोजन खिलाते हैं।

भारत में पेड़ की पूजा क्यों जाती है? (tree worship in indian tradition)

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पेड़ को वृक्ष देवता बोलते है। वैदिक काल में भी व वर्तमान में भी भारत की महिलाएं-पुरुष, पीपल, बरगद, पारिजात वृक्ष तथा नीम के पेड़ की पूजा की जाती हैं। यहाँ तक की आँवला पेड़ पर तो एक विशेष उत्सव आयोजित किया जाता है जिसका नाम ‘आवंला नवमी’ है। ये सब इसलिए किया जाता है क्योंकी इन पेड़ों से हमें शुद्ध हवा मिलती है, आरोग्य प्रदान करने वाले फल प्राप्त होते है।

भारत में चन्द्रमा की पूजा क्यों की जाती है? (Moon Worship in Hinduism)

चन्द्रमा को हिन्दू धर्म में देवता माना गया है। हमारे बच्चे प्यार से चंदा मामा कहते है। चन्द्रमा ही हमें रात को दूधिया रोशनी देता है। पुरातन काल में बिजली की व्यवस्था नही हुआ करती थी। ऐसे में हमारे लोग चन्द्रमा की रोशनी में ही अपना काम-काज किया करते थे। इसके अलावा कई हिन्दू पौराणिक कथाओं में चन्द्र देव का उदाहरण मिलता है।

भारत में सूर्य (सूरज) की पूजा क्यों की जाती है? (Sun Worship Hinduism)

सूर्य देवता इस पूरे संसार को अपने प्रकाश से अंधेरा दूर करते है। सूर्य की धूप से सैकड़ों प्रकार के वायरस व बेक्टिरिया का नाश होता है। सूर्य की ऊर्जा से इंसान व पेड़-पौधों का शाररिक विकास होता है। बिना सूर्य के संसार की कल्पना भी मुश्किल है। इसलिए इनको ‘Sun God’ कहा जाता है।

पानी की पूजा ( pani ki puja kyu ki jati hai)

बिल्कुल सही सुना, पानी से हमे जीवन मिलता है। हमारा शरीर का सत्तर प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है। भारतीय संस्कृति में पानी को देवी माँ का दर्जा दिया गया है। इसका वर्णन पौराणिक कथाओं में मिलता है। बहुत सारी पवित्र नदिया भारत में मौजूद है जिनकी हर दिन संध्या काल के समय पूजा होती है। जिनमें गंगा नदी, यमुना, जमुना, गोदावरी आदि शामिल हैं।

पहाड़ की पूजा (Hindu Parvat ki puja kyu karte hai)

जब भी बात आती है पहाड़ पूजा की तो हमें गोवर्धन पर्वत की याद आती है। जब भगवान कृष्ण ने मथुरा वासियों को भीषण बारिश से बचाने के लिए पूरे पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा दिया था। लेकिन दूसरा कारण आध्यात्मिक ना होकर अलग है। पहाड़ से पानी आता है, पत्थर मिलते है, पहाड़ो पर विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे उगते है। जिससे सभी जीव जंतुओं व मनुष्यों को फायदा होता है।

जमीन को धरती माता क्यों कहा जाता है? (dharti ko mata kyon kahate hain)

धरती को ‘धरती माता’ इसलिए कहा जाता है क्योंकी जीव जगत में सभी प्राणी व इंसान इसी जमीन के ऊपर हम अपना जीवन व्यापन करते है
इसी धरती के ऊपर सभी प्रकार के जीवन देने वाले पौधे उगते हैं।

भारत में इन जानवरों की पूजा क्यों की जाती है?

पहला कारण धार्मिक है। सनातन धर्म में बहुत सारे ऐसे भगवान है जो की किसी जानवर के अवतार में उन्होंने लीला की। जैसे की बन्दर के रूप में हनुमानजी, शेर, डूकर व मछली के रूप में विष्णु भगवान इत्यादी। दूसरा कारण इस पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में प्रकृति का बहुत बड़ा योगदान है।

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पैर छूने की परंपरा (Indian tradition of touching feet)

हम भारतीय लोग अपने से बड़े लोग, बुजुर्ग, रिश्तेदार, गुरुजन, संत-महात्मा का पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है। हम उनके अनुभव, उनकी उम्र का सम्मान करते है। ये महान परम्परा सिर्फ भारत में ही है। गर्व से कहो हम सनातनी है।

अभिवादन में हाथ क्यों जोड़ते हैं?

नमस्कार, नमस्ते, राम, राम व हरे कृष्ण बोलना एक सभ्य समाज या सभ्य संस्कृति की पहचान है। पश्चिमी देशों (Western Culture) में हाथ मिलाकर, गले लगाकर व चूमा देकर अभिवादन करते है। लेकिन हम लोग माँ-बेटियों की इज्जत करते है। इसलिए हाथ जोड़कर ही सभी से अभिवादन करते है।

33 करोड़ देवी देवताओं का रहस्य [ Hinduo mein etne bhagwaan kyu hai?]

यह भी सनातन धर्म परम्परा की संस्कृति का आधार है। ऐसा कोई भी देवता का नाम बताओ जिनको बिना कारण पूजा जाता हो? हर देवता के पीछे एक समाज कल्याण की कहानी है। उन्होंने मानवता के लिए बहुत सारे अच्छे कार्य किये, लोगो को अच्छा ज्ञान दिया यही कारण है की तैतीस करोड़ देवी देवताओं की पूजा की जाती है।

हाथ से भोजन क्यों करते हैं? (why eating with your hands is better & healthy in Hindi)

हाथ से भोजन करने का एक वैज्ञानिक आधार है। यह बात आपको पता ही है हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है और हमारे हाथ की पांचों उँगलियाँ पंचतत्व का प्रतिनिधित्व करती है। जिसके कारण हम जब हाथ से भोजन खाते हैं तो भोजन का स्वाद भी बढ़ता है, हमारा पाचन तंत्र भी अच्छा होता है, भोजन कितना गर्म है उसका भी पता लग जाता है। इसलिए आप भी आज से हाथ से भोजन करना शुरू कर दीजिए।

नीचे बैठकर भोजन करना और पेड़ के पत्तो पर भोजन करना

नीचे बैठकर भोजन करने से शरीर का गुरुत्वाकर्षण बल सन्तुलित रहता है तथा भोजन पचाने में सहायक है। जमीन पर बैठकर भोजन करने के आयुर्वेद में बहुत सारे फायदे है। पेड़ के पत्तो का पातल -दूना eco friendly food plates होती है। जो की बाहर फेकते ही तुरंत मिट्टी में मिल जाती है। आज भी आध्यात्मिक संस्थाओ में व साउथ इंडिया में लोग अपने पारम्परिक रूप सेपत्तो की प्लेट पर ही भोजन करते है।

शौच के बाद पानी से क्यों साफ करते हैं? (Why do Indians not use toilet paper?)

देखिए पश्चिमी देशों में (Western Countries) में पानी की कमी होती है इस कारण वे अपनी गुदा को टॉयलेट पेपर से साफ करते है। लेकिन हमारे देश भारत में पानी की कोई कमी नहीं है बल्की हम अन्य देशों को पानी पिलाते है। इसलिए हम पानी से गुदा साफ करते है। दूसरा कारण पानी से साफ करना ही सही तरीका है। कपड़े से या पेपर से साफ करते समय गुदा अच्छी तरह साफ नही होती व संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।

चींटियों को भोजन क्यों डालते हैं (Kidinagra कीड़ी नगरा क्यों डालते है?)

भारतीय संस्कृति में हम सबसे छोटे जीव चींटी को भी भोजन खिलाते हैं। हमारे दादा-परदादा, दादी आज भी घर में नारियल व देशी शक्कर का बुरा बनाकर संध्याकाल को चींटियों को कीड़ी नगरा डालने जाती है। गर्व से कहो हम सनातनी है। गर्व से कहो हम भारतीय है।

गुरुकुल शिक्षा Sanatan Siksha 

गुरुकुल शिक्षा की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. गुरु-शिष्य परंपरा: गुरुकुल शिक्षा में, गुरु को शिष्य का आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता है। शिष्य गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा रखता है।
  2. ब्रह्मचर्य: गुरुकुल शिक्षा में, छात्र ब्रह्मचर्य का पालन करता है। इसका अर्थ है कि वह भोग-विलास से दूर रहता है और अपने जीवन को ज्ञान और आध्यात्मिकता के विकास के लिए समर्पित करता है।
  3. अनुशासन: गुरुकुल शिक्षा में, अनुशासन को बहुत महत्व दिया जाता है। छात्र को गुरु के नियमों का पालन करना होता है।
  4. सर्वांगीण विकास: गुरुकुल शिक्षा का उद्देश्य छात्र के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास करना है। इसमें छात्र को ज्ञान, कौशल, चरित्र और आध्यात्मिकता का विकास करना सिखाया जाता है।


धन्य है वो सभी धर्मों के लोग जिनका जन्म दुनिया के सबसे पवित्र व अच्छे स्थान भारत देश में हुआ। जहाँ की सनातन संस्कृति परम्परा से सभी को आध्यात्मिक, आर्थिक, स्वास्थिक, बौद्धिक, पारिवारिक, सामाजिक तथा सभी तरह से फायदा मिलता है। इस पोस्ट को हर सनातनी हिन्दू व सच्चे भारतीय के साथ शेयर करे। अपने सवाल/सुझाव/विचार नीचे ब्लॉग कॉमेंट सेक्शन में लिखे।

 

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