स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी व जीवन परिचय – Swami dayanand saraswati biography in Hindi

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Swami Dayanand Saraswati biography 

आज मैं, आपको भारत के महापुरुष व आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जीवन परिचय बताऊंगा। स्वामी जी के जीवन के बाल्यकाल से लेकर वृद्धावस्था तक कि उनकी पूरी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे।

नाम (Full name) स्वामी दयानंद सरस्वती
बचपन का नाम  मूलशंकर
जन्म तिथि (birthday) 12 फरवरी 1824
जन्म स्थान (Birth Place) टंकारा Tankara, जिला व राज्य - राजकोट, गुजरात
पिता का नाम ( Father)करशन लालजी तिवारी
माता का नाम (Mother) यशोदा बाई
शिक्षा (education) वैदिक ज्ञान
धर्म (Religion)सत्य सनातन हिन्दू धर्म
नागरिकताभारतीय
पेशा (Occupation)समाज सुधारक
पत्नी का नाम (wife)अविवाहित (ब्रह्मचारी)
भाषा का ज्ञान (Language)हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी।

Swami Dayanand Sarswati life story in Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में जानकारी

स्वामी जी को भारत देश का एक बहुत बड़ा वर्ग महर्षि दयानंद नाम से भी पुकारते हैं। दयानंद सरस्वती जी का नाम भारत के महान समाज सुधारक, क्रांतिवीर, वेद प्रचारक, सनातन संस्कृति के रक्षक के रूप में लिया जाता हैं। वे एक ब्रह्मचारी, सन्यासी व ऋषि थे। शुरुआती जीवन के किशोरावस्था में ही वे अपने परिवार के सदस्यों से सोचने पर विवश करने वाले सवाल पूछा करते थे।  जेसे – जीवन का असली मतलब क्या है? इन्हीं सब बातों को सुनकर उनके पिता को डर सताने लगा की मेरा बेटा कई सन्यास ग्रहण ना कर ले। इसी बात से आहत होकर पिता ने दयानंद जी शादी करने की ठान ली। ऐसे में स्वामी जी शादी की बात सुनते ही एक दिन रात को घर से भाग गये। क्योकी दयानंद सरस्वती को सत्य की खोज करनी थी। और उस सत्य की खोज करने के लिए उनको एक सच्चे गुरु की तलाश थी। उसी ज्ञान की खोज में वे भारत यात्रा पर निकल पड़े और उनको अंत में गुरु विरजानंद मिले, वहाँ से स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने सम्पूर्ण दीक्षा, वेद अध्ययन की शिक्षा प्राप्त की। अंत में गुरु दक्षिणा में स्वामी जी ने लौंग दिए, और गुरु की आंखों में आँसू की गंगा उमड़ पड़ी, गुरु के आंखों में आंसू देखकर स्वामी जी ने उनसे इसका कारण पूछा तो, तो गुरु ने कहा, हे दयानंद, इस समय हमारा देश भारत बहुत संकट में है, हर जगह पापियों और असुरों ने डेरा डाल रखा है। तुम भारत का कल्याण करो। गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते ही दयानंद सरस्वती जी सम्पूर्ण भारत-भ्रमण पर निकल पड़े उन्होंने बहुत सारे पाखंडों का पर्दाफाश किया। उनकी मृत्यु की वजह सबसे अंत के उपबिन्दु में बताई गई है। वह बाकी जीवन के बारे में नीचे के उपबिन्दु पढे।

 

 स्वामी दयानंद सरस्वती जी की उपलब्धिया, खिताब, सम्मान, अवार्ड

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में सच्चे गुरु व भारतीय ग्रंन्थों के ज्ञान से बहुत सारे कीर्तिमान स्थापित किये। जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां में आपको बताना चाहता हूं।

● महर्षि दयानंद सरस्वती जी की कृपा, अनुकम्पा पाकर व इनके विचारों से प्रभावित होने वाले सैकड़ो क्रांतिकारियों व महापुरुषों ने जन्म लिया जिसमें भगत सिंह, स्वामी श्रद्धानंद, विनायक दामोदर सावरकर, लाला लाजपतराय जैसे बहुत सारे नाम शामिल हैं।

● स्वामी दयानंद जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उद्घोषक के रूप में भी जाना जाता हैं। उनकी प्रेरणा से ही बहुत सारे बहादुर क्रांतिकारी लोग जो ह्रदय परिवर्तन न होने के कारण सोये हुए थे। वो दयानंद जी के मार्गदर्शन में जाग उठे।

● मात्र तीन वर्ष में ही दयानंद जी अपने गुरु से सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर ली। इस शिक्षा के अंतर्गत पंतजलि योगसूत्र, वेद-वेदांग, पाणिनि व्याकरण जेसे शास्त्रों को आत्मसात कर दिया था।

● सन् 1875 में महाराष्ट्र राज्य के गिरगांव, मुंबई में आर्यसमाज की स्थापना की।

● स्वामी दयानंद सरस्वती जी गुजराती, हिंदी के साथ संस्कृत भाषा भी धाराप्रवाह बोलते थे।

● स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने विधवा महिलाओं के दर्द को देखकर पुर्नविवाह आरंभ किया।

● लेकिन साथ में ही बाल विवाह और सती प्रथा का विरोध किया करते थे।

● उनके द्वारा लिखित सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश था।


स्वामी दयानंद सरस्वती जी के बारे में रोचक तथ्य  [Facts About Swami Dayanand Sarswati in Hindi]

#1. स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने बहुत सारे संस्कृत में लिखे वेदों का हिंदी भाषा में अनुवादन किया था।

#2. स्वामी दयानंद सरस्वती जी की मातृ भाषा गुजराती थी इसके बावजूद वे जीवनभर “हिंदी” को राष्ट्रीय भाषा बनाने पर जोर देते रहे। सरस्वती जी ने हिंदी को आर्य भाषा घोषित कर दिया था।

#3. गोकरूणाधि पुस्तक में गोरक्षा आंदोलन व गाय कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस पुस्तक में लिखी हुई है।

#4. हिन्दू नाम विदेशियों की देन है ये स्वामी जी ने हमे बतलाया था। सभी हिंदुओ को सनातन धर्म या सत्य सनातन धर्म’ नाम स्वामी ने याद दिलाया था।

#5. उनकी इसी विचारधारा को अभी भी सक्रिय रूप से वर्तमान इंडिया में कई आर्यसमाज के प्रचारक स्वामी जी के ज्ञान का प्रसार-प्रचार कर रहे हैं।


Swami Dayanand Saraswati Quotes in Hindi  दयाननद सरस्वती के अनमोल विचार

सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करके ही खुश ना हो, हमको दूसरों की भी भलाई करनी चाहिए।



मनुष्य को चाहिए की वे भारत के समस्त आध्यात्मिक शास्त्रों व ग्रंन्थों को पढे जिससे की उनके अंदर छुपी असीमित शक्तियों का जागरण हो सके।



जब भी आप किसी कार्य को करते समय उसमे हार जाते हो, और वहाँ से सीखे सबक को भूलते नही , तो वही सीख आपको विजेता बनाती हैं।



भारतीय संगीत सर्वश्रेष्ठ है इसके माध्यम से बहुत सारे अच्छे कार्य संभव हैं।



जो व्यक्ति ज्ञान को सीखकर औरों में बाटता हैं वही सही मनुष्य हैं।



अज्ञानी होना गलत बात नही है, अज्ञानी बने रहना गलत है।



जिस प्रकार ईश्वर ने सबको सूर्य, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, चन्द्रमा दिया है, उसी तरह उन्होंने सभी मानव जाति को वेदों का सच्चा ज्ञान दिया है।



सत्य वचन, ज्ञान व योगाभ्यास मोक्ष (मुक्ति) प्राप्ति के वास्तविक पथ हैं।



सम्पूर्ण वेद ज्ञान प्राप्त करने वाला मनुष्य ही जान सकता है की जीवन का मूल बिंदु क्या हैं।



वेदों की ओर लोटो’ इनका मुख्य नारा था। क्योकी वेदों में ही सभी सच्ची बाते लिखी हुई है।



इस कारण स्वामी दयानंद सरस्वती विवादों में फंसे थे। (Swami Dayanand Sarswati Controversy)


जैसा की आपको पता ही है हमारे हिन्दू धर्म में लोग हर छोटे-मोटे देवी-देवता और बड़े भगवान के प्रतीक के रूप में बाजार से उनकी मूर्ति खरीदते हैं और श्रद्धा के कारण उस मूर्ति को या तो अपने घर के मंदिर के अंदर रखते हैं या फिर उस मूर्ति को बड़े या छोटे मंदिर में स्थापित कर देते है। लेकिन आप सोचेंगे ये तो सही है इसमें बुरा क्या है? पर आपको जानकारी के लिए बता दूं; की स्वामी दयानंद सरस्वती जी मूर्ति पूजा के खिलाफ थे। उन्होंने वेदों की पाठी पढ़ाते हुए यह कहाँ की हमारे वेदों में ग्रन्थों व शास्त्रों का महत्व है ना की मूर्ति का। उनके अनुसार मूर्ति पूजा से अधिक लाभ वेदों, शास्त्रों व ग्रंथो के अध्ययन से मिलता है, उनकी ये बात काफी हद तक सही भी है क्योंकी असली सुख तो ज्ञान की प्राप्ति ही है। लेकिन उनकी ये सत्य सोच से बहुत हिन्दू पंडे-पुजारियों का बिजनेस बंद होने वाला था, जब लोग मंदिर ही नही आयेंगे तो दान कोन देंगा। इसी कारण ज्यादातर हिन्दू लोग ही स्वामी जी के खिलाफ हो गयं थे। ये सब धर्म के पुजारी नही चाहते थे की लोगो को इस बात का पता चले की शास्त्रों में मूर्ति पूजा का वर्णन नही है।

 

स्वामी दयानंद सरस्वती जी की मृत्यु कैसे हुई? किसने की? जाने पूरी घटना का सच।

बात उस समय की है जब स्वामी दयानंद सरस्वती जी, राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर के नरेश राजा जसवंतसिंह जी के निमन्त्रण पाकर उनके महल आये थे। महल में जब राजा को एक वेश्या स्त्री में लिप्त होते देखा तो स्वामी जी ने राजा को तुंरत फटकार लगाई की तुम शेर पुत्र होकर एक कुतिया पर मरते हो। राजा ने इस पर तुंरत माफी मांगी परंतु वेश्या बहुत गुस्सा हो गई, उसने दयानंद सरस्वती जी को मारने की योजना बनाई। जब शाम को दयानंद जी को दूध दिया गया, तो वैश्या ने रसोइये को भारी-भरकम राशि देकर दूध में कांच को पीसकर डाल दिया। इससे स्वामी जी की तबीयत बहुत खराब हो गई। सभी चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों को बुलाया गया परन्तु किसी से बात नही बनी। अंत में उन्हें अजमेर के अस्पताल में भर्ती किया गया। जहाँ पर उनकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो गई और अंत में उनकी मृत्यु अजमेर शहर में दीपावली के दिन हुई। दूसरा मौत का कारण अंग्रेजी सरकार का षडयंत्र भी हो सकता है – भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करवाने की स्वामी जी ने ठान ली थी। एक अंग्रेज अधिकारी स्वामी जी से बात करने भी आया था। परंतु दयानंद जी ने तीखे जवाब के साथ उसको भगा दिया। स्वामी जी बढ़ती लोकप्रियता, अंग्रेजी सरकार को बिल्कुल पसंद नही आ रही थी। दयानंद सरस्वती जी के नेतृत्व में हजारो क्रांतिकारी लोगो की फ़ौज हर दिन तैयार हो रही थी। ऐसे में क्या पता किसी अंग्रेज सरकार के अधिकारी ने ही षड्यंत्र के तहत स्वामी दयानंद सरस्वती जी को मरवाया हो। स्वामी जी की मृत्य दिनांक 30 ऑक्टोम्बर 1883 के वर्ष में हुई थी।


आर्य समाज के नियम, सिद्धांत व विचारधारा

१. वेदों से बढ़कर और कोई भी नही है। ॐ को को भगवान का सबसे सही नाम माना जाता है।

२. आर्य समाज में मूर्ति पूजा निषेध है। सिर्फ वैदिक मंत्रोच्चारण को ही भगवान का रूप बताता गया है। जिसमें ओम (ॐ) नाम प्रमुख हैं। वह गायत्री मंत्र को सबसे हितकारी व शक्तिशाली मंत्र बताया गया हैं।

३. प्रयेक मनुष्य का आध्यात्मिक, शाररिक व मानसिक विकास होना जरूरी है। तभी समाज व विश्व का विकास संभव है।

४. हमेशा सत्य के मार्ग पर चले। असत्य को जल्द से जल्द छोड़ने की आदत डाले।

५. सही विद्या (ज्ञान) से शरीर के सभी दुःख व अंधकार मिट जाते हैं।

 

FAQ आपके सवाल मेरे जवाब

भारत को आर्यवर्त नाम किसने दिया था?

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने

स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा लिखित मुख्य पुस्तकों के नाम बताइए?

सत्यार्थ प्रकाश, संस्कारविधि, भ्रांतिनिवारण व गोकरूणाधि हैं।

Swami dayanand saraswati ke guru ka naam kya tha?

उत्तर –  स्वामी दयानंद सरस्वती के गुरु का नाम स्वामी विरजानन्द था।

स्वामी दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार

सत्य सनातन धर्म ही इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। हिंदू नाम अंग्रेजों ने दिया है।  हम सभी आर्य (Arya) है। हमारे देश का पुराना नाम 



इस तरह आपने आज स्वामी दयानंद सरस्वती जी के जीवन परिचय, कोट्स, रोचक तथ्य, आर्य समाज के नियम के बारे में जानकारी प्राप्त की। अगर आप आर्य समाज से जुड़े हुए हैं तो अपना अनुभव हमारे साथ नीचे ब्लॉग कॉमेंट सेक्शन में साझा करें, वह इस पोस्ट को सभी आर्यवर्त के लोगो के साथ शेयर करें।

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