गाँव के बारे में जानकारी व गांव के लोग कैसे रहते हैं? | indian village life in Hindi 

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Village information in Hindi

गाँव को अंग्रेजी में विलेज बोलते हैं और संस्कृत में ग्राम। वह “ग्रामीण लोगो” को इंग्लिश भाषा में रूरल (Rural) बोलते हैं। आज मैं आपको गाँव के बारे में सबकुछ बताऊंगा, जो आपके मन में सवाल है, उनके जवाब देने की कोशिश करूंगा क्योकी मैं, खुद भारत देश के राजस्थान राज्य के गांव में रहता हूँ। तो हालांकि मेरा गांव थोड़ा बहुत विकसित हैं, लेकिन हमारे गाँव के आसपास ऐसे छोटे गांव भी है जिन्हें हम अक्सर ‘ ढाणी’ या ‘तालुका’ बोलते हैं। लेखक की उम्र ( सन् 2021) में 22 बाइस वर्ष हैं। और मैंने अपनी बाइस साल के जीवनसफ़र में लगभग बीस साल गांवों के परिवेश, वेशभूषा, खानपान और संस्कृति में ही बिताए। तो अगर आप गाँव में सेटल होना चाहते हो या किसी भी मकसद/उद्देश्य के कारण यह पोस्ट पढ़ रहे हो, तो आपको गांवों के लोग, परिवार, दिनचर्या, व्यापार, आदि सबकुछ इस पोस्ट में सीखने को मिलेंगा। इसलिए गाँव के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

 

गाँव की परिभाषा और अर्थ village definition in hindi

गांव की परिभाषा को में दो – तीन तरीको से समझाने की कोशिश करूंगा ताकी आपको अच्छी तरह समझ में आ सके।

● 1st- कोई ऐसी मानव आबादी की जगह जहाँ की कुल जनसंख्या पंद्रह हजार या दस हजार से कम हो उसे गांव कहते हैं।

● 2nd – जिस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव हो उसे भी गाँव ही कहते हैं। लेकिन हर गांव में ऐसा नही होता। भारत व दुनिया में ऐसे लाखो गाँव हैं, जो शत प्रतिशत विकसित हैं।

● 3rd – जहाँ पर सभी प्रकार का आनंद, खुशी, आराम, भाईचारा और शांति दिखे, उसे भी गांव समझ ले।

 

ग्रामीण लोगो की जीवन दिनचर्या daily life in indian village 

अभी मैं आपको बताऊंगा भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपना पूरा दिन किस तरह व्यतीत करते हैं। वह सुबह 5 बजे से शाम 9 बजे तक क्या-क्या गतिविधियां करते हैं। इसमें सभी प्रकार के लोगो को में शामिल करूंगा जिसमें नौकरी करने वाले, व्यापार करने वाले वह दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं लेकिन यह सब गांव के ही है। मूलतः गांव में ही निवास करते हैं।

➡️ सुबह 5 बजे उठकर स्नान करके पूजा-पाठ करना और चाय पीना व्यापारी दुकान खोलने के लिए निकल जाते हैं, नोकरी वाले तैयार होने लगते हैं, उनके लिए भाबीजी, दादीसा, माताजी टिफिन तैयार करती हैं। वही मजदूर या रोज मेहनत करके कमाने वाले लोग नास्ता करके भोजन बनाकर काम के लिए रवाना हो जाते हैं।

 

➡️ सुबह का भोजन सबका 12 बजे से 3 बजे के बीच में होता हैं। फिर सब अपने -अपने काम पर लग जाते हैं।

 

➡️ गांवो की अधिकतर महिलाएं घर का सारा काम खत्म करने के बाद ही नहाती हैं। कुछ औरते शाम को नहाती है।

 

➡️ फिर सभी लोग शाम को 5 बजे चाय पीते हैं और व्यापारी दुकान से बाहर निकलकर, अपने बाजू की दुकानों के मालिक के साथ या अपने घर के पड़ोसीयो के साथ गपशप करते हैं। मजदूरों वह सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों की संध्याकाल 5 बजे काम से छूटी हो जाती हैं। ओर वो घर पर आकर आराम फरमाते हैं।

➡️ धंधा करने वाले लोग शाम 8 बजे से 9 बजे दुकान बंद (मंगल) कर देते हैं। और घर पर खाना खाकर टीवी देखकर सो जाते है।

 

➡️ वही एक बहुत बड़ा वर्ग शाम को इकठ्ठा होकर पूरी दुनिया की चिंता करता हैं और किसी भी विषय पर गपशप करके मनोरंजन व टाइमपास करते हैं।

 

➡️ गांव के आठ वर्ष से सत्रह साल के लड़के अपने गांव के सरकारी स्कूल में क्रिकेट, खो-खो, कबड्डी, हॉकी, फुटबॉल और लोकल स्पोर्ट्स खेलते हैं। जूनून पैशन (Passion)  के लिए नही अपितु मनोरंजन के लिए।

 

➡️ बारह महीने में सिर्फ बारिश का मौसम ही ऐसा होता हैं, जब कुछ व्यापार बंद रहते हैं, बाकी सब ठीक-ठाक चलता है। आगे पूरी पोस्ट पढे, बहुत कुछ सीखने को मिलेंगा। हिम्मत करके पूरी पोस्ट पढ़ लो।

गाँव और शहर में अंतर क्या है?  village vs city life in hindi

शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन का तुलनात्मक विश्लेषण में अपने बाइस सालों के अनुभव के आधार पर कर रहा हूँ। अगर शहर में जीवन जीने की बात करू, तो पाली, जयपुर, हरिद्वार,  मुंबई, हैदराबाद व जोधपुर जैसे छोटे- बड़े शहरों वह महानगरों में रह चुका हूँ। और मेरा जन्म और पढ़ाई-लिखाई तो गाँव में ही हुई हैं। और लगभग बीस साल मैंने गाँव में ही गुजारे तो अभी आपको आगे पढ़ने का आनंद आयेंगा। पहले शहर की बात करते हैं।

(A.) शहरी जीवन – पहली बार शहर गया था, सपनो की नगरी मुंबई जहाँ पर मैं करने तो नोकरी गया था ( मेरे परिवार वालो के अनुसार) लेकिन मेरा मकसद नौकरी करना नही बल्की इस बात को समझना था, की शहर के लोगो की जीने की गुणवत्ता (क़्वालिटी ऑफ लाइफ) कैसी है, क्या खाते हैं, कैसे रहते हैं। यह सब देखने के लिए ही मैंने मुम्बई में वसई वेस्ट में मंगलम हार्डवेयर करके दुकान में 15 दिन नोकरी की। और इसके अलावा हैदराबाद में में भी BandlaGuda में नौकरी की। वही जोधपुर एम्स में मामा को एडमिट करवाया इसके कारण भी पंद्रह दिन सूर्यनगरी जोधपुर शहर में गुजारने का मौका मिला। पाली शहर तो मेरे मामा रहते है, इसलिए वहां पर एक महीना रहा तो कुल निष्कर्ष क्या निकला, की शहरी जीवन (सिटी लाइफ) जीने का आइये नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं।

 

● शहर में पैसा बहुत हैं, पर उस पैसे का करोंगे क्या जब आपके फेफडे ही प्रदूषण से खराब हो जायेगे? उस ‘quality of life’ का क्या करोंगे, जब आपकी उम्र आधी हो जायेगी क्योकी शहर में मिलने वाली हर खाने-पीने की चीज जहरीली हो चुकी हैं, सब चीजो में मिलावट हैं। (जिसमें पानी, हवा, भोजन, धरती, मिट्टी, दूध ) जेसी अनेको चीज शामिल हैं।

 

● शहर में आपके घर में किसी परिवार सदस्य की मौत हो जाये, तो आपके पास वाले (पडौसी) देखने भी नही आयेंगे। यह एक बड़ा अंतर है, वही गाँव में यह घटना घटित हो जाये, तो बाकी आपके रिश्तेदार आये या ना आये पर पड़ोसी, मोहल्ले के लोग और आपके समाज जाति के लोग और दोस्त उसी समय अपना काम छोड़कर आ जायेंगे।

 

● शहर में लोग जब सोने का समय होता है, उस समय जागते हैं और जागने के समय सोते हैं। तो हेल्थ (शरीर) की तो पूरी धज्जियां उड़ जाती हैं शाम को 11 बजे 12 बजे लोगो को पेट भरकर खाना खाते सोते हुए देखा है वही सुबह का खाना दोपहर को 2 बजे, क्या ये जिंदगी हैं? दो मिनट आँख बंद कर अपने आप से सवाल करें। वही सबसे ज्यादा रगड़ाई या घिसाई जो वहाँ पर ट्रेडिशनल बिजनेस में नौकरी करता है, उसकी होती हैं। उसको तो कोल्हू के बेल की तरह काम करवाया जाता है। मैंने भी किया है। 15 दिन गुजारे ऐसा लगा मानो 15 साल गुजर गये। किसी ने सही कहा “नॉकरी बस दिवालियापन के ऊपर का नाम है।”

 

● और भी बहुत सारी बाते हैं, पर छोड़ो पोस्ट बहुत लंबी हो जायेगी। ये पैराग्राफ कैसा लगा नीचे ब्लॉग कमेंट बॉक्स में टिप्पणी जरूर करना।

 

(B.) ग्रामीण जीवन – गांवो में लोगों का जीवन के बारे में पूरी जानकारी नीचे के सबटाइटल में दे दी गई हैं। फिर भी आपको थोड़ी सी जानकारी देना चाहूंगा शॉर्ट में; यहाँ पर आप खुद का व्यापार करके या खेती करके एक अच्छी जिंदगी जी सकते हो। और शहर में घूमने का मन हो तो भी आप हर महीने अपने परिवार के साथ जा सकते हो। बाकी गाँव में रहने के सारे फायदे आप नीचे के पैराग्राफ में पढ़ेंगे।

गांव में रहने के 10 कारण और फायदे village life is better than city life in hindi

क्या आप अपना मकान किसी छोटे या बड़े गाँव में बनाना चाहते हैं? या फिर कुछ समय शांति का आनंद व अनुभव लेने के लिए प्लानिंग बना रहे है? तो आज मैं आपको दस बड़े कारण बताऊंगा जिससें आप कुछ दिन या महिने जरूर गुज़ारोंगे या हो सकता है आपका मन गांव में घर लेने का हो जाये।

 

1. गाँव में खाने-पीने की सारी चीजें शुद्ध हैं। जेसे- आप खाने का शुद्ध कच्छी घणी का तेल उपयोग कर सकते हो, हर दिन यूरिया और पेस्टीसाइड के जहर से मुक्त ताजा फल और सब्जी खा सकते हो, जो की जैविक खाद से बने होते हैं।

 

2. आपको चौबीस घंटे असीमित ऑक्सीजन ( शुद्ध हवा) मिलेंगी। जो आपके फेफड़े को मजबूत बनायेंगी और आपकी आयु को बढ़ायेगी।

 

3. गाँव में आप कम आय में भी अपना जीवन व्यापन कर सकते हो जबकी शहर में आप ज्यादा कमाओगे तो खर्चे भी आपके कमाई से ज्यादा ही होंगे। हालांकि वित्तीय साक्षरता से पैसों की कमी को दूर किया जा सकता है

 

 

4. गाँव में सबलोग प्रेम और एकता से रहते हैं। इसका फायदा यह है, की कोई भी परिवार कितना भी तनाव में क्यों ना हो उसके पड़ोसी वह आसपास वाले लोग हाल-चाल तबीयत देखने आ जाते हैं।

 

5. गाँव में भी वो सबकुछ हासिल किया जा सकता हैं, जो किसी कमी की वजह से आप शहर में जाकर करने की सोच रहे हो, इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी इसी पोस्ट में दी गई है। जरूर पढ़ना ये बाते आपको कोई भी नहीं सिखाएगा।

 

6. गाँव में अगर छोटा घर भी हो, तो जीने का मजा आता हैं, वही शहर में भले कितना भी बड़ा घर क्यों न हो, उसमें घुटन महसूस होती हैं। गाँव के बच्चे ज्यादातर समय स्कूल में खेल खेलते हैं, मिट्टी में खेलते हैं, वही शहर में बच्चें टेलीविजन और मोबाइल पर ही चिपके रहते हैं।

 

7. गांव में सभी चीजें देशी होती हैं और पुराने जमाने की होती हैं, जो सेहत की नजर से और अन्य जीवन क्षेत्रो में उपयोगी सिद्ध होता हैं।

 

8. अगर आप शांति की तलाश कर रहे हैं, तो गांव में आकर एक खेत ले लीजिए या कुछ दिन खेत में पेड़ के नींचे खटिया (चारपाई) लगाकर आराम कीजिए, आह.. हा.. क्या मस्त जिंदगी हैं क्योकी वो मूमेंट शब्दो में व्यक्त नही किया जा सकता। या फिर अपना फार्म हाउस बना लीजिए, और घर भी उसी में बना दे। खेती भी हो जायेगी और रहना भी।

 

9. सुबह-सुबह 5 से 6 बजे के बीच पक्षियों की वह मधुर आवाज आपको बिना अलार्म ही नींद उड़ा देती हैं। कुछ ऐसे जानवर हैं जो आपको हर दिन गांव में देखने को मिलेंगे;-

● चिड़िया, कबूतर, तोता, मुर्गा, कौआ, उल्लू।

● कुत्ता, भैंस, गाय (गौमाता), बिल्ली, गिलहरी व चूहा।

 

10. गाँव की तारीफ में एक शब्द बोलूंगा, बाकी आप खुद समझ लेवे। ” सुंदरता, स्वच्छता, प्रेम, एकता, सामूहिकता, प्रकृति का आशीर्वाद, भक्तिमय वातावरण, प्रदूषण मुक्त वातावरण और शांत पर्यावरण।

 

कैसे गाँव के लोग कम पैसा कमाने के बाद भी खुश रहते है और सुकून की जिंदगी जीते हैं? rural life is better than urban life 

ऐसा इसलिए हैं, क्योकी गाँव में हर चीज के खर्चे कम है, बहुत सारी चीजें तो मुफ्त (फोगट) में ही मिल जाती हैं। इस पैराग्राफ को पूरा पढ़ना। जेसे- कई गांव ऐसे होते है जिनकी अत्याधिक आबादी शहरों में रोजगार के लिए चली जाती है, या खुद की इच्छा से बिजनेस करने के लिए बाहर चले जाते है। ऐसे में उनके गांव में बने हुए बड़े-बड़े आलीशान घर आप लाइट बिल और साफ-सफाई करके रूक सकते हो। वही गांवो में घर का किराया भी कम होता हैं। दूसरा कारण कम पैसा कमाने के बाद भी मजे वाली जिंदगी जीने का – सादा जीवन जीना है। इसके अलावा वातावरण एकदम हरा-भरा और स्वच्छ होता है जो शहर में बिल्कुल सम्भव नही है। और ये तो आपको पता ही हैं, भारत के शास्त्रों की कहावत ” सबसे बड़ा सुख निरोगी काया ” तो, ये वो तीन मुख्य कारण है जिसके कारण आप भी गांव में घर बनाकर अपना जीवन व्यापन कर सकते हैं। एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।

गाँव का खानपान व भोजन 

खाने- पीने में हर विलेज की परंपरा और रीति रिवाज अलग-अलग होते हैं। लेकिन आपको बताना चाहूंगा, की ज्यादातर गाँव के लोग सादा भोजन करना पसंद करते हैं। जैसे;- दाल – रोटी, सब्जी वह रोटी, छाछ के साथ रोटी खाना, अचार के साथ। मतलब गाँव वाले लोग पेट भरने के लिए किसी भी प्रकार चीज को मिलाकर, अपना दिन गुजार देते हैं साथ ही यह परंपरा होती हैं, की ग्रामीण लोग सूखी सब्जी ज्यादा बनाकर घर में रख देते हैं, ताकी किसी समय आपदा आ जाये, या सब्जी ना मिले तो घर पर बनाई सूखी सब्जी को तेल – मिर्च डालकर बनाकर खा लेते हैं, मजे की बात यह है, की यह सूखा साग बाजार में मिलने वाली ताजी हरि सब्जियों से भी स्वादिष्ट बनता हैं। वही आपको जानकारी के लिए बता दूं, गांवों में हर त्यौहारो के लिए अलग – अलग क्षेत्रीय स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक व्यजन-पकवान बनाने की परंपरा हैं।

गाँव की  वेशभूषा

वेशभूषा का मतलब पहनने के कपड़ों से है। चाहे मैं, अभी भारत देश के ग्रामीण क्षेत्रों की बात करू या फॉरेन विलेज की हर गाँव में उस समाज/ धर्म के परंपरा के अनुसार पोशाकें/ कपड़े पहने जाते हैं। हालांकि आज की युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति (वेस्टर्न कल्चर) के कारण अपने संस्कार और शरीर के लिए बने वस्त्रों को पहनना छोड़ दिया है, ओर ये लोग इसका खामियाजा भी भुगत ही रहे हैं, नाना प्रकार की बीमारियों के रूप में। भारत के गांव के बुजुर्ग आदमी आज भी धोती- कुर्ता और कुर्ता-पायजामा ही पहनते हैं। वही वृद्ध महिलाएं घाघरा व ओना ही पहनती हैं। वही हिन्दुस्तान के अलग-अलग प्रान्तों में सलवार- सूट पहनती हैं। निष्कर्ष यह निकलता है, की गांव के लोग अर्द्धनग्नता का प्रदर्शन नही करते, क्योकी समाज इसकी स्वीकृति नही देता।

गांवो में त्यौहार किस तरह मनाए जाते हैं? 

ग्रामीण लोग सभी उत्सव बड़ी- धूमधाम और सब मिल जुलकर मनाते हैं, चाहे वो बात होली, दिवाली, रक्षाबंधन की हो या उनके क्षेत्रीय उत्सवों की वही हर त्योहार में मिष्ठान घर पर ही बनाये जाते हैं। एक चीज अच्छी लगती हैं, ‘विलेज-फेस्टीवल’ में की सब मोहल्ले के लोग इकठ्ठा होकर हंसी-मजाक करते हैं, सामूहिक चंदा इकठ्ठा करके काम करते हैं।

 

गाँव में कौनसा धंधा-व्यापार (बिजनेस) करें?

देखिए गांव हो या शहर अगर आपको एक सफल व्यापारी बनना चाहते, तो बिजनेस के कुछ टिप्स, टेक्निक और मेथड्स को ध्यान में रखना पड़ेंगा,  बाजार की मांग को पूरा करना पड़ेंगा। तभी आप एक सफल बिजनेस मैन बनेंगे। अब आपके मन में सवाल चल रहा होंगा, की भारत के गांवों में कोनसी वो दुकाने होती हैं, जो बारह महीने अच्छी चलती हैं, और एक अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता हैं। तो कुछ दुकानों के नाम के बारे में आपको बताता हूँ। अगर इनमें से एक भी काम आप गांव में शुरुआत करते हो, तो मेरा ऐसा मानना है, आपका परिवार कभी भूखा नही मरेंगा और १२ महीने लगातार आपको भरपूर काम मिलेंगा वही त्योहारों के सीजन में तो आपको आराम करने की भी फुरसत नहीं मिलेंगी। आइये जानते हैं;

1इलेक्ट्रॉनिक्स / इलेक्टिकल की दुकान

2. हार्डवेयर की दुकान

3.  मशीन पार्ट्स मशीनरी शॉप की दुकान

4. पानीपुरी/भेल की रेड़ी (लॉरी) लगाना

5. अनेक प्रकार के मसालो की दुकान जैसे; मिर्च, धनिया, हल्दी इत्यादि।

6. किराणा के सामान की दुकान

7. लकड़ी की दुकान

8. मोटरसाइकिल रिपेरिंग शॉप

9. फैंसी महिलाओ के सामान की दुकान

10. धोबीघाट / कपडे इस्त्री करना।

विलेज टूरिस्ट प्लेस

भारत वह विदेशों में हर गांव के कुछ पर्यटक स्थल होते हैं, या फिर उसके नजदीकी 20 किलोमीटर के दायरे में अति सुंदर वह मन को शांति देने वाले स्थान होते हैं। लेकिन मैं आपको कुछ ऐसे गाँव के पर्यटन स्थलों के बारे बताऊंगा, जो हर गाँव में होते ही, आप वहाँ पर घूमकर एक अच्छा चिंतन कर सकते हो,  कुछ समय अपने दोस्तों व परिवार के साथ गुजार सकते हो।

● पहाड़ी क्षेत्र या इलाके।

● जैन मंदिर वह हिन्दू मंदिर ( ज्यादातर गाँव के लोग जैन मंदिर में शर्म के कारण नही जाते, लेकिन मेरी सलाह है, आप परिवार के साथ जाए हर जैन मंदिर प्राचीन और अतिसुन्दर होता है, बहुत कुछ ऐतिहासिक महत्व की चीजें देखने को मिलती है, सीखने को मिलती हैं )

गाँव की भाषा और बोली

भाषा और बोली  हर गांव, तहसील, ढाणी व कस्बे में वहाँ की क्षेत्रीय भाषा बोली जाती हैं। वही शहरो में उस राज्य की राजभाषा या राष्ट्रीय भाषा बोली जाती हैं। लेकिन भारत में कुछ ऐसे शहर भी होते हैं, जहाँ पर क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले लोग ज्यादा रहते हैं।

गाँव में धर्म व जाति

शहर में हर धर्म और जाति के लोग निवास करते हैं। पर भारत जेसे देश में ऐसा बिल्कुल नही है, हो सकता अन्य सभी देशों में भी यही स्थिति हो। उदाहरण के लिए सबसे पहले राजस्थान राज्य  को लेते हैं;- यहाँ पर हर गांव में मूल दो धर्म के लोग ही रहते हैं पहला हिन्दू व दूसरा मुस्लिम। राजस्थान के कुछ जिलों  हिन्दू, मुस्लिम, जैन यह तीन धर्म ही रहते हैं। वही हरियाणा  और पंजाब राज्य की बात करें तो सिर्फ सिख धर्म और हिन्दू समुदाय के लोग रहते है। तो इस तरह आप समझ गये की गाँव में सभी धर्म के लोग आपको शायद ही देखने को मिले।

● जाति :- भारत के ज्यादातर गांवो में जाति बहुल समुदाय रहता हैं। उदाहरण के लिए, आप राजस्थान, पंजाब, आंध्रप्रदेश   जैसे राज्यो में देखेंगे। यहाँ पर बहुत सारे छोटे-मोटे गाँव आपको मिल जायेंगे। जिसमें एक ही जाति के लोग रहते हैं। कुछ कास्ट के उदहारण;-

A.) राजस्थान में राजपूतों के गाँव, राजपुरोहित समाज के गाँव, देवासियों के, चौधरियों के आदि।

B.) हरियाणा पंजाब में जाट जाति के।

C.) आंध्रप्रदेश में मुस्लिम गांव आदि।

मैं गांव में रहता हूँ, क्या मैं कुछ जीवन में बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकता हूँ?

जी बिल्कुल! आज जमाना इंटरनेट का है, टेक्नोलॉजी का है, मोबाइल का हैं… ऐसे में अब कोई सीमा (एंट्री बैरियर या कंट्री बैरियर) नही रह गया। आज आप गांव में बैठे-बैठे ही अपने डिजिटल ऑनलाइन वह फिजिकल ऑफलाइन उत्पाद (प्रोडक्ट्स) दुनिया के किसी भी देश या कोने में पँहुचा सकता हो। क्या ऐसा संभव है?

उत्तर- आपके पास कुछ चीजो की जानकारी होनी चाहिए;- जैसे;- डिजिटल मार्केटिंग क्या है, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Seo), सर्च इंजन मार्केटिंग (SEM ) वह उस कौशल का ज्ञान जिसे आपको ऑनलाइन/ऑफलाइन लोगो को बेचना हैं।

प्रश्न.1) ऑनलाइन कैसे कुछ बड़ा करें, घर बैठे-बैठे गांव से ही?

उत्तर – कुछ प्लेटफॉर्म हैं, जिसको आप सीखकर डिजिटल दुनिया में अपना कैरियर बना सकते हो।

● Blogging, YouTube , Affiliate Marketing, & Android app development. यह तीन ही रास्ते पॉपुलर वह प्रामाणिक है। बाकी फर्जी और समय बर्बाद करने वाले रास्तो में ऑनलाइन पैसा कमाने के चक्कर में ना पड़े!  आप कुछ बड़ा ऑनलाइन ही कर सकते हैं। ऑफलाइन बड़ी फैक्टरी व कंपनी भी खोली जा सकती हैं, पर उसके लिए आपको शुरुआत में खूब सारा पैसा, रिसोर्स व वर्कफोर्स टीम चाहिए होंगी, जो हो सकता हैं, आपके पास न हो, ओर अगर है, तो आप कर सकते हो।

विलेज में स्वास्थ्य अच्छा करने की गतिविधिया  Village health Activities

शुरुआत एक कोटेशन से करते हैं

 गांव के लोगो को योग, आसन, प्राणायाम की कभी जरूरत नहीं पड़ती, क्योकी उनका प्रतिदिन का नित्यकर्म काम ही योग है। जैसे;- कपड़ा धोना, बर्तन मांजना, रोटी-सब्जी बनाना, घर की सफाई इत्यादि। यह सब काम करने से शरीर की सभी मांसपेशियों की और अंग-अवयवों का व्यायाम हो जाता है।

दूसरी बात कुछ ‘विलेज पीपल हैल्दी एक्टिविटी’ का नाम बताना चाहूंगा, जो उनको कई प्रकार के रोगों से दूर रखते हैं।

●गाँव के ज्यादातर लोग टूथपेस्ट और टूथब्रश का इस्तेमाल नही करते हैं इसके बजाय अनामिका उंगली से मंजन करते हैं। इससे आपके दांत सौ साल तक सही रहेंगे।

● गाँव के लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं। ब्रह्ममुहूर्त में उठने के और सुबह जल्दी उठने के सेकड़ो फायदे हैं, आपका पूरा जीवन बदल सकता हैं।

● ग्रामो में मध्यम वर्गीय परिवार हर साल एक बड़ी तीर्थ यात्रा करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। और यह तीर्थ परम्परा हमारे ऋषि-मुनियों ने ही शुरू की थी।

गाँव में  दंगे/ फसाद /अपराध / झगड़ा

इन सबकी गणना शून्य के बराबर है, क्योकी गांवो में हर मोहल्ले में एक ऐसी व्यवस्था पहले से बनी होती हैं, जो इस प्रकार की आपराधिक घटनाओं पर तुरन्त लगाम लगाती है। मतलब 90 % मामलों में पुलिस की जरूरत ही नहीं पड़ती, गाँव वाले या मोहल्ले वाले ही इसका समटारा कर देते हैं इसके अलावा धार्मिक दंगे जेसी बहुत कम चान्स होते हैं, क्योकी गांव में सब लोग भाई-भाई की तरह रहते हैं। तो कुल मिलाकर इस टॉपिक में तो आप आश्वात हो गये।

गांव में रहने के नुकसान Disadvantages of village life in hindi

अब देखो हर चीज का प्लस पॉइंट भी होता है, और माइनस पॉइंट भी तो यही चीज ग्राम पर भी लागू होती हैं। अगर आपका जन्म शहर में ही हुआ है, तो आपको ये कमियां बहुत बड़ी लग सकती हैं। बाकी तो सबका सोचने का अलग-अलग नजरिया होता है।

  •  गाँव में आपको बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल नही मिलेंगे।
  • आप अपने मनपसंद की चीज को खरीदने के लिए कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकी ऑनलाइन डिलीवरी में भी तीन से पांच दिन का समय तो लगता ही हैं।
  • एयरपोर्ट, रेलवे जैसी सुविधाएं नही होती।
  • किसी भी लड़की से गांव में सार्वजनिक स्थल पर बात नहीं कर सकते, और सही नजरिए और भाव के साथ भी करते हो, तो लोग आपको इस तरह गुरुंगे(देखेंगे) जैसे आप कोई बड़ा कांड कर रहे हो।
  • पैसा बहुत कम मिलता है और कमाई के अवसर बहुत कम होते हैं।
  • शहर की तरह 12 महीने एक सरीखा बिजनेस नही चलता है।
  • गांव में रोजगार के इतने अवसर उपलब्ध नहीं होते।
  • किसी भी उत्सव को इतने धूमधाम से नही मनाया जाता जितना शहरो में होता है।

मुझे पूरा विश्वास और उम्मीद है, गांव क्या है, गाँव की विशेषता, नुकसान, फायदे और गाँव में रहने की वजह, कारण आपको सबकुछ इस एक पोस्ट में समझ में आ गया होंगा। अब आपको एक छोटा सा काम करना है, और मेरी मेहनत का थोड़ा इनाम मुझे देना है। जो व्यक्ति गांव में रहना चाहता है उसको जरूर शेयर करे और गांव के बारे में अन्य कोई भी जानकारी चाहिए या आपके मन में सवाल हो तो मुझसे जरूर पूछे। 

 

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