पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय – Bio, Quotes, Facts, Wiki

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Biography Of Shri Ram Sharma Acharya in Hindi

युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा जी ने अपना पूरा जीवन भारत देश को समर्पित किया। गुरुदेव ने अपने एक जीवन में दो सौ जीवन जितना काम अकेले कर दिखाया। दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्रगायत्री मंत्र‘ को आम आदमी के लिए 30 साल कठोर तपस्या कर 24 लाख का गायत्री महापुरश्चरण करके सबके लिए खोला,  इससे पहले सिर्फ ब्राह्मण ही गायत्री मंत्र जप कर सकते थे। इसके अलावा श्रीराम शर्मा एक बड़े देशभक्त, आध्यात्मिक संत और महान गुरु थे। करोड़ो-अरबो रूपये की जमीन जायदाद होने के बावजूद वे एकदम सादा जीवन व्यतीत करते थे। क्या आपको पता है गुरुदेव ने कई सालों तक साधना के दौरान सिर्फ एक जौ की रोटी और एक गिलास गौमाता के छाछ पीकर अपना जीवन व्यतीत किया। यदि आप गुरुदेव महान कार्यो को आंखों से देखना चाहते हैं तो मैं आपको कहूँगा की एकबार आँवलखेड़ा, मथुरा और हरिद्वार जरूर जाए। इन तीनो स्थान पर रहना, खाना, पीना सबकुछ मुफ्त है इसके अलावा आपको साधना, भजन और यज्ञ चिकित्सा का लाभ भी मिलेगा। आइए जानते हैं shriram sharma in hindi के बारे में पूरी जानकारी।

NamePt. shriram sharma
DOBSeptember 1911
Birth Placeआँवलखेड़ा, आगरा, उत्तरप्रदेश।
Religionहिंदू (Hinduism)
Guru NameSwami Sarveshwaranda ji
Nationality
भारतीय (Indian)
Fatherरूप किशोर शर्मा
Motherमाता दानकुंवरी देवी
Wifeभगवती देवी शर्मा
Childrenशैलबाला पंड्या और मृत्युञ्जय शर्मा।
Death2 June, 1990
Other nameVedmurti, Yugrishi, Taponishta.
Food Habit
Vegetarian
LanguageHindi, English & Sanskrit
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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जीवन संघर्ष

श्रीराम शर्मा का जन्म भारत के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित रूपकिशोर शर्मा से उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान मिला। घर में आध्यात्मिक माहौल होने के कारण उनका मन साधना, जप में लगने लगा। यह घटना सत्य है। श्रीराम शर्मा 14 साल की उम्र में ही हिमालय पर चले गये थे। यह बात उनके घर वालो की पता नही थी। कहते है, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने जब अपने गुरु पंडित मदन मोहन मालवीय से दीक्षा ली, तब मालवीय जी ने उनके कान में बोला- “गायत्री ब्राह्मणों की कामधेनु हैं।”  इस एक शब्द ने उनका पूरा जीवन बदल दिया। श्रीराम शर्मा आचार्य को युवावस्था में ही वो सारे महामानव के गुण विद्दमान थे। वो अपने गांव में लोगो को स्वालम्बन की शिक्षा देते थे। गाँव में कुप्रथा और कुरीतियों को खत्म करने के लिए आंदोलन करना । आप उनकी जन्मभूमि आँवलखेड़ा जाकर उनका पुराना घर और उनकी बचपन की सारी गतिविधियों को वहाँ देख सकते हो। इसके अलावा गुरुदेव के दादा गुरुदेव ने जिस कमरे में उनको दर्शन दिये थे। वहाँ पर बैठकर आप गायत्री मंत्र जप भी कर सकते हैं। मै भी वहाँ जाकर आया, बहुत अच्छा लगा।  मानव – सेवा का भाव उनमें बचपन से ही था। उनके गाँव की एक अछूत वृद्ध महिला को एक गंभीर रोग हो गया था। तब बालक श्रीराम ने तब तक उनकी सेवा की जब तक वो पुरी तरह ठीक नही हो गई। इस बीच उनको समाज के लोगों और परिवार की गलत विचारधारा का भी सामना करना पड़ा। उनके घर वालो ने तो उनको खाना देने से भी मना कर दिया था। पर उनकी यही मानवसेवा की सोच आगे चल- कर गायत्री परिवार का मुख्य नारा बना। उनकी विद्यालय की शिक्षा कम हुई, लेकिन उनके पास आध्यात्मिक ज्ञान की शक्ति थी। तो उनका व्यक्तित्व विकास पहले से सम्पन्न था। उन्होंने देश के निर्माण के  सिर्फ एक जौ की रोटी और छाछ पर कठिन गायत्री मंत्र की साधना की। उनके साहित्य में भारत और दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान छुपा है। एक आम आदमी भी उनके साहित्य को पढ़े, और नियमो और आदतों को जीवन में उतारे तो पूरा जीवन बदल सकता हैं। और यह बात मै अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर बता रहा हूँ। इसके अलावा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी इनका योगदान अतुलनीय है। वे उस दौरान भारत के महान लोगों से मिले, जहाँ उनका मनोबल और बढ़ गया।

आचार्य श्रीराम शर्मा के बारे में 10 रौचक तथ्य 

● एक मनुष्य जीवन में बत्तीस सौ [ 3200 ] किताबे  लिखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति हैं।

● भारत की पाँच सबसे बड़ी उपाधि प्राप्त है। जो आपने ऊपर लघु विवरण में पढ़ा।

● भारत की बहुत सारी भविष्यवाणी गुरुजी ने आज से 50 साल पहले कर दी थी।

● पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपनी युवावस्था में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था।

● महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने श्रीराम शर्मा जी को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी थी।

● गुरुजी के संघटन की शाखा भारत ही नही, पूरी दुनिया में हैं। प्रज्ञा केंद्र, चेतना केंद्र, गायत्री शक्तिपीठ, प्रज्ञापीठ के नाम से।

● परम पूज्य गुरुदेव नाम विश्व के महान समाज सुधारक में शामिल हैं।

● स्वतंत्रता की लड़ाई में कई बार उनको जेल भी जाना पड़ा। जेल में रहकर उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी।

● वे जीवन भर बिना पंखे चलाये अपने सभी काम करते थे। सादगी उनके मूल स्वभाव था।

● अपने लिए कठोर और दूसरो के लिए विनम्र यह बात  पूज्य गुरुदेव ने अपने जीवन में करके दिखाया।

● बाल्यकाल में ही वे आम के पेड़ के नीचे बैठकर साधना एंव ध्यान किया करते थे।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य कोटेशन

● जो जैसा सोचता है और करता हैं, वह वैसा ही बन जाता हैं।

● स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खुली वायु में रहिये ।

● सात्विक आहार और अस्वाद भोजन करे।

● बच्चों को शिक्षा के साथ दीक्षा भी दे।

● मंदिरों को प्रेरणा केंद्र बनाया।

● मृत्यु भोज का बहिष्कार करें।

● समय को दिनचर्या के व्यस्त शिकंजे में कसे रहे, क्योंकि
व्यस्त लोग अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ हैं।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की अमृतवाणी शब्दों में (amritvani shri ram sharnam)

1. परम पूज्य गुरुदेव द्वारा सूक्षमीकरण के बाद दिये गये वे महवपूर्ण निर्देश, जो हर लोकसेवी कार्यकर्ता-समयदानी समर्पित शिष्य पर लागू होते हैं। इस विशालकाय योजना में प्रेरणा प्रेरणा ऊपर वाले ने दी हैं। कोई दिव्य सत्ता बता या लिखा रही हैं। मस्तिष्क और ह्रदय का हर कण-कण  उसे लिख रहा हैं।

2. कार्य कैसे पूरा होंगा? इतने साधन कहाँ से आएंगे?  इसकी चिंता आप न करे। जिसने करने के लिए कहा हैं, वही उसके साधन भी जुटायेंगा। सिर्फ यह बात सोचे की श्रम व समर्पण में एक दूसरे में कौन आगे रहा?

3. साधन, योग्यता, शिक्षा आदि की दृष्टि से हनुमानजी उस समुदाय में अंकिचन थे। उनका भूतकाल सुग्रीव की नौकरी में बिता था, पर जब महती शक्ति के साथ सच्चे मन और पूर्ण समपर्ण के साथ लग गए; तो लंका दहन, समुद्र छलांगने और पर्वत उखाड़ने का, राम-लक्ष्मण को कन्धे पर बिठाये फिरने का श्रेय उन्हें ही मिला।

4. आलस्य- प्रमाद और विलासिता से हमेशा बचे, मैने अपना हर सेकेंड मानवता के कल्याण के लिए लगाया। बिना तपे दुनिया की कोई चीज नही चमकती। मेरे चेहरे पर जो तेज दिखता हैं, वो सब जप-तप की शक्ति हैं। अपने गाँव को एक आदर्श गाँव बनाये। इसकी पहल आप खुद करें।

5. शिक्षा हमे भ्रष्टाचारी, चोरी, गलत काम करना सिखाती हैं। और विद्या सही और उच्च जीवन जीने का पाठ सिखाती है। विद्या से शरीर का भावनात्मक और सम्पूर्ण मानसिक विकास होता हैं।

हमारे जीवन से कुछ सीखे  

अपने सभी आत्मीय प्रज्ञा- परिजनों में से प्रत्येक के नाम हमारी विरासत और वसीयत हैं। कदमो की यथार्थता  खोजे, सफलता जांचे और जिससे जितना बन पड़े उस काम को करने का प्रयास करे। यह नफे का सौदाहैं, घाटे का नही।  प्यार हमारा मंत्र हैं। आत्मीयता, ममता, स्नेह और श्रद्धा यही हमारी उपासना हैं। आत्मीयता का विस्तार का नाम ही अध्यात्म हैं। हमारी कितने राते सिसकते बीती, कितनी बार हम बालको की तरह बिलख-बिलख कर, फुट-फुट कर रोये। इसे कोई कहाँ जनता हैं? लोग हमें संत, सिद्ध, ज्ञानी मानते हैं। तो कोई लेखक, विद्वान, वक्ता, नेता समझते हैं।  पर किसने हमारा अंत:करण खोलकर पढ़ा, समझा हैं? कोई उसे देख सका होता, तो उसे मानवीय व्यथा- वेदना की अनुभूतियों की करुणा कराह से हाहाकार करती एक आत्मा भर इन हड्डियों के ढाँचे में बैठी- बिलखती दिखाई पड़ती। मेरे विचारों में, मेरे साहित्य में, मेरी इच्छाओ को ढूंढो। उन शिक्षाओ का अनुसरण जो मेरे गुरु ने मुझे दी थी। और जिसे मेने तुम्हे दिया हैं। सदैव अपनी दृष्टि लक्ष्य पर बनाये रखो। अपने मन को मेरे विचारों से परिपूर्ण के लो। मेरी इच्छा और विचारों के  प्रति जागरूकता, संयम और भक्ति में ही एक शिष्य के गुण हैं।

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज का गठन

शान्तिकुञ्ज के संस्थापक श्रीराम शर्मा जी ने आध्यात्मिक नगरी हरिद्वार में भारत के सबसे बड़े आश्रम शांतिकुंज बनाया। करोड़ो लोगो  के विशाल गायत्री परिवार का मुख्यालय शान्तिकुञ्ज है। भारत और दुनिया के हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त वातावरण वाला ध्यान-साधना का केंद्र बन गया। शांतिकुंज की दिनचर्या में जीवन को उत्कृष्टता की और ले जाने वाले सद्गुणों का प्रवाह हैं। शाररिक -मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भारत की सबसे उत्तम जगह हैं। सभी धर्म, सभी वर्ग के लोगो के लिए शान्तिकुञ्ज आश्रम का वातारण दिव्य हैं।

गायत्री परिवार युग निर्माण सत्संकल्प

” हम ईश्वर को न्यायकारी, सर्वयापी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे ”

” शरीर को भगवान का मंदिर समझकर आरोग्य की रक्षा करेंगे”

” मन को गलत विचारों से बचाये रखने के लिए स्वाध्याय एंव संत्सग करेंगे ”

” इंद्रिय, अर्थ, विचार, और समय संयम का हमेशा अभ्यास
करेंगे ”

” अपने आप को समाज का एक अभिन्न अंग मांगेंगे और सबके हित में अपना भला समझेंगे ”

” मर्यादाओ को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे ”

” समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी,  और बहादुरी को जीवन का हिस्सा बनायेंगे ”

” चारो तरफ सादगी, स्वच्छता, एंव मधुरता का वातावरण उत्पन करेंगे ”

” मनुष्य की पहचान उसकी सफलता, शिक्षा, डिग्री एंव विभूतियो को नही, उसके अच्छे विचारों और कर्मो को मानेंगे ”

” दुसरो के साथ वह व्यवहार नही करेंगे जो हमे अपने लिए पसन्द नही। ”

” संसार में लोकमंगल के प्रसार के लिए ज्ञान, प्रभाव, समय, पुरुषार्थ और धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगें। ”

” राष्ट्रीय एकता के लिए काम करेंगे। भाषा, लिंग, जाति,  प्रान्त, सम्प्रदाय आदि के कारण  कोई भेदभाव नही करेंगे।

” हम बदलेंगे दुनिया बदलेंगी – हम सुधरेंगे युग सुधरेगा ” इस बात पर हमारा परिपूर्ण विश्वास हैं।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के 150 अनमोल वचन 

युगऋषि श्रीराम शर्मा के यह सदवाक्य पढ़कर करोड़ो भारतीयों का जीवन बदल गया। इनके हर शब्द में तप, गहरा चिंतन और त्याग की भावना हैं। गुरुजी अपने ऊपर कठोर और दुसरो के लिए उदार रहते थे। उन्होंने भारत की हर मुख्य समस्या पर एक पुस्तक लिख डाली। उनका एक प्रसिद्ध कथन हैं- 

मन को कुविचारों को से बचाये रखने के लिए संत्सग और स्वाध्याय की व्यवस्था बनाये रखेंगे।

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श्रीराम शर्मा आचार्य के विचार मनुष्य जीवन के ऊपर

 

 असफलता का मतलब हैं, जितना अभ्यास, मेहनत और समय आपको उस काम को देना था। उतना काम आपने नही किया।

 

 मनुष्य जन्म सिर्फ पेट भरने और बच्चा पैदा करने के लिए नही हुआ हैं।

 

● सादा जीवन : उच्च विचार ।

● मनुष्य अपने भाग्य निर्माता स्वंय हैं।

● अगर किसी को उपहार देना ही हैं। तो हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला उपहार दो।

● मनुष्य की पहचान उसके सत्कर्मो और अच्छे विचारों से होंगी।

● उपहार देना ही है तो आत्म विश्वास जगाने वाला और प्रोत्साहन बढ़ाने वाला उपहार दो।

● नशा नाश की जड़ है।

● नर- नारी में कोई भेदभाव नही करेंगे।

 

 एक स्वस्थ युवा ही सबल राष्ट्र का निर्माण कर सकता हैं।

 

नशा मनुष्य और समाज दोनों को बर्बाद के देता हैं।

 

● मनुष्य को सफल बनने के लिए पहले अपने विचारों को बदलना पड़ेंगा।

● मेरा स्मारक बनाने के बदले जीवन में एक पेड़ लगा देना।

● हर गाँव आदर्श गांव हो, हर आदमी आत्मनिर्भर बने।

● भूख से कम भोजन खाये । मतलब रोज चार रोटी खाते हो तो तीन ही खाये। क्योंकि ज्यादा भोजन करने से शक्तिनही मिलती हैं। जो भोजन अच्छी तरह पच कर रस बन जाता हैं। वही काम आता है।

● प्रतिदिन एक घंटा श्रमदान जरूर करे।

● गपशप नही करे। जप-तप करें।

 

 अगर व्यक्ति जीभ और कामुकता पर नियंत्रण कर ले, तो उसकी  नब्बे 90%  समस्या स्वतः खत्म हो जायेंगी।

 

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के स्वास्थ्य सदवाक्य

 अगर भारत के लोग बाहर शौच करने जाते,  समय साथ में खुरपी (  गड्ढा खोदने का औजार ) भी लेकर जाये, और गड्ढा खोदकर उसमें मल त्यागे बहुत सारी बीमारियों से भी बचा जा सकता हैं। वह मल भी खाद में बदल जाता हैं।

● आसनों और प्राणायाम का  सुंदर योग आसन ” प्रज्ञायोग” जरूर करें।

 

● आसन- प्राणायाम करने से हमारा शरीर हिलता- डुलता हैं। जिससे शरीर में जमा सारी गंदगी कफ, सांस, और मल- मूत्र के द्वार से बाहर निकल जाती है।

 

● कहते हैं, योगी प्राणायाम से अपने मृत्यु को वश में कर देते हैं। और जब तक चाहे, वो जिंदगी जी सकते हैं। प्राणायाम से शरीर की प्राण ऊर्जा बढ़ती हैं।

 

● जो लाभ गाय का घी खाने से मिलते हैं। वही लाभ गाय के घी का दीपक जलाकर प्राणायाम करने से मिलते हैं।

 प्राकृतिक चिकित्सा  शरीर का कायाकल्प करने के लिए सबसे अच्छी चिकित्सा हैं।

आप गायत्री परिवार की शक्तिपीठ ग्राम आँवलखेड़ा पर कम कीमत में करवा सकते हैं। खाना-पीना, रहना और भोजन मुफ्त हैं।

 

● मनुष्य के लिए अस्वाद भोजन ही सर्वश्रेष्ठ हैं। अस्वाद भोजन का मतलब बिना नमक, मिर्ची, शक्कर के बना भोजन।

●  संसार के सभी जीव- जंतु, पशु- पक्षी अपना भोजन बिना मिलावट खाते हैं।

● यज्ञ इस पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। क्योंकि इस से सभी को लाभ मिलता हैं।

● हमेशा पंचगव्य से निर्मित नहाने का साबुन इस्तेमाल करें।

● नियमित रूप से शुद्ध सरसो के तेल से पुरे शरीर पर मालिश करने से आँखों की दृष्टि तेज होती है। सभी अंग पुष्ट होते हैं।

● भोजन करने से पहले तीन बार गायत्री मंत्र का जप जरूर करे।

● कोई भी खाने की चीज खाने के बाद कूल्हा
अवश्य करें। इससे आपके दाँत 100 साल तक टिके रहेंगे।

● आत्मबोध की साधना और तत्त्वबोध की साधना जरूर करें। मतलब हर दिन जन्म और हर दिन मृत्यु।

ऐसा कोई भी खाद्य-पर्दाथ जिस पर मख्खी बैठ गई है। वह खाना फेक दो या बाहर जानवरो को खिला दो। क्योंकी मख्खी को रोग की अम्मा कहा जाता हैं।

सफल जीवन के ऊपर श्रीराम शर्मा

सफल मनुष्य बनना है, तो सबसे पहले अपने कीमती समय को नष्ट करना बंद करो। हर महापुरुष ने अपने समय को व्यवस्थित ढंग से उपयोग कर महानता हासिल की है।

 

आलस-प्रमाद से बचने के लिए सात्विक और भूख से कम भोजन खाये। इससे आपकी कार्यक्षमता बढ़ेंगी।

 

हम कभी स्कूल नही गए लेकिन बाकी सारी किताबे हमने पढ़ी, हमने सभी प्रकार के विशेष ज्ञान को लिया जो एक अच्छे मानव जीवन के लिए जरूरी था।

 

अच्छा हुआ, मैं स्कूल नही गया, वरना मैं भी चूहा दौड़ और भेड़चाल के चक्र में फंस जाता।

 

अगर मैंने स्कूल की शिक्षा ग्रहण कर ली होती तो B.A. करके कही पर नोकरी कर रहा होता। क्या मैंने जो इतना मानवता के लिए काम किया वो कर पाता?

 

एक जीवन मिला है, इसको महानतम से महानतम और श्रेष्ठतर से श्रेष्ठतर कार्य करने में लगाओ।

 

हमारी दिनचर्या कैसी हो – युगऋषि के अनुसार

हर मनुष्य को ब्रह्मूहत (सुबह 3 बजे जागकर)  सबसे पहले आत्मबोध की साधना करनी चाहिए। इसका वर्णन नीचे दी गई शान्तिकुन्ज दिनचर्या लिंक में है।

 

हर रोज शाम को सोने से पहले पूरे दिन का चिंतन करे, की आपने आज पूरे दिन में कितना अच्छा काम किया, कितना समय बर्बाद किया ऐसा करने से आप में जागरूकता बढ़ेंगी और आपका जीवन अच्छा होता चला जायेगा।

 

सुबह स्नान करने के बाद किसी एक देवता का या गायत्री माता का चित्र अपने घर के मंदिर में लगाकर एकबार फूल चढ़ाकर देव पूजन अवश्य करें।

 

प्रकृति के ऊपर वेदमूर्ति श्रीराम के कथन

आचार्य श्रीराम शर्मा की एक पुस्तक है जिसका नाम है “प्रकृति के सहचर” इसमे गुरुजी बोलते है – की जब हिमालय पर साधना करने गया था तो एक समय तो ऐसा लगा की मेरे साथ कोई नहीं है, लेकिन जब मैंने आसपास देखा तो मेरे साथ पशु-पक्षी थे, चिड़िया थी, आसमान था, पेड़-पौधे थे, सूर्य-चंद्रमा थे, तारे थे। तो मैं अकेला कैसे?

 

जब आप शान्तिकुन्ज हरिद्वार जाओगे, तो गायत्री माता मंदिर प्रांगण में एक बहुत सुंदर सुविचार वहाँ पर लगा हुआ है जिसमें गुरुजी बोलते हैं – की जब भी आपको हमारी मूर्ति, स्टेचू अपने गांव-शहर में बनवाने का मन करें तो उसकी जगह एक पेड़ (Tree) लगवा दे। इस बात से यह स्प्ष्ट होता हैं, की हमारे गुरुजी अन्य ऋषि-मुनियों की तरह प्रकृति-प्रेमी थे।

 

शांतिकुज में आपको झरना, कृत्रिम हिमालय, हरियाली, वन-बगीचा, पार्क ये सब दिखेंगा क्योकी इससे लोगो के अंदर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होता है और इन सब से मिलने वाले ऑक्सीजन व खुशियों को गायत्री साधक ग्रहण कर सकें।

 

 

गायत्री मंत्र के लाभ

● जिस भी मनुष्य ने गायत्री और यज्ञ को जीवन में उतार दिया। उसका जीवन सफल है।

● गायत्री मंत्र इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं।

● जब भी थकान, मुसीबत में फँस गये हो, स्वर या मन में जप शुरू कर दो। उस समस्या का समाधान तुरन्त हो जायेंगा।

● भोजन बनाते समय, आटा गूँथते समय गायत्री मंत्र जप करने से वह भोजन अमृत बन जाता हैं वह भोजन पोषित हो जाता हैं।

● लगातार एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से गलत कामो से ध्यान हटता हैं। शरीर को अत्यधिक खुशी मिलती हैं।

● लगातार 12 साल, एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से, उससे प्राप्त उर्जा और शक्ति को अपने अच्छे कर्म में लगाकर सिद्धि प्राप्त की जा सकती हैं।  अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

● भारत के सभी महापुरुष, भगवान राम, कृष्ण, सभी ऋषि-मुनियों ने, अवतारी पुरुषो ने गायत्री मंत्र का जप किया है।

 

आध्यात्मिक ज्ञान पर श्रीराम शर्मा जी

साधना, उपासना और आराधना तीनो आवश्यक हैं।

 

हर दिन मंत्रजप से आपके अंदर और शरीर के रोग, संताप, पीड़ा, दुख, चिंता आदि दूर होते हैं।

 

आध्यात्मिक ज्ञान इंसान को मानसिक और आंतरिक आनंद देता है और आर्थिक वह बिजनेस ज्ञान मनुष्य को पैसा-समृद्वि देता है।

 

हनुमान जी, महात्मा गांधी वह अन्य महापुरुषों ने ब्रह्चर्य का पालन किया था।

 

FAQ

श्रीराम शर्मा के कितने बच्चे थे?

गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के बेटे का नाम मृत्युञ्जय शर्मा है और बेटी का नाम शैलबाला पंड्या है। मृत्युञ्जय शर्मा का घर मथुरा में है जहाँ पर वे युगनिर्माण प्रिंटिंग प्रेस संभालते है और वही पर गुरुदेव के अन्य कार्यो को देखते है। उनकी बेटी शैलबाला पंड्या वर्तमान में शांतिकुज हरिद्वार के अध्यक्ष प्रणव पांड्या के साथ मिलकर गुरुदेव के कार्यो को संभालती है।

भविष्यवाणी (Prediction)

धर्म की विजय होंगी और अधर्म का नाश होगा। मनुष्य ने यदि आध्यात्मिक ज्ञान को जीवन में नही उतारा और प्रकृति की रक्षा नही की तो इस पृथ्वी का विनाश तय है।

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