गठिया रोग (आर्थराइटिस) का आयुर्वेदिक इलाज | Gathiya Rog Ka Ayurvedic ilaaj

गठिया रोग का मतलब होता हैं, शरीर के किसी अंग पर गांठ बन जाना। यह गांठ किसी को दर्द बिल्कुल नही देती, पर शरीर में बनी रहती हैं। और किसी को बहुत ज्यादा दर्द देती हैं। अगर आप भी बाजार की एलोपेथी की गोलियां और दवाईयां खा- खाकर परेशान हो गये या हॉस्पिटल के बिल भर- भरकर तंग हो गये है, तो यह पोस्ट आपके लिए ही हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें, की अंग्रेजी चिकित्सा में गठिया रोग का इलाज का मतलब है, चीर-फाड़ कर, ऑपरेशन कर उस गाँठ को बाहर निकालना, जो मेरे हिसाब से यह शरीर के लिए बिल्कुल सही नही हैं।

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गठिया रोग क्यों होता है आयुर्वेद के अनुसार

यदि आप आयुर्वेद के त्रिदोष वात, पित्त और कफ को अच्छे से समझ लेते हैं तो इसका निवारण बहुत अच्छे से हो सकता है।  गठिया रोग ‘वात रोगों’ में आता है। आप अपने शहर में किसी अच्छे वैद्य (आयुर्वेदिक डॉक्टर) से मिले जिससे की आपका ये गठिया रोग जल्दी से सही हो जाए।

प्राणायाम के द्वारा

किसी भी प्रकार की गांठ को खत्म करने के लिए दो मुख्य प्राणायाम हैं-
१. कपालभाति –  इसके अन्तगर्त आपको सुबह नहाने के बाद जल्दी एक कंबल बिछाकर बैठना हैं, वह लंबी गहरी सांस लेकर उसको टुकड़ो-टुकडो में वापस बाहर छोड़ना हैं। यह प्राणायाम सर्दियों में 5 मिनट जरूर करें वह गर्मियों में 1 मिनट से अधिक बिल्कुल ना करे।  सर्दियों में धीरे- धीरे 20 मिनट तक आप बढ़ा सकते हो।

२. अनुलोम- विलोम प्राणायाम – सुबह एक स्वच्छ वातावरण में बैठकर, बाए नाक से लंबी गहरी धीरे -धीरे सांस ले, फिर दाए नाक से धीरे-धीरे छोड़े फिर यही क्रिया उल्टी करे। अगर आप 6 महीना लगातार रोज पंद्रह मिनट इस प्राणायाम को करते हैं, तो आपके शरीर की सारी गांठे खत्म हो जायेंगी।

योगासन के द्वारा

आसन योगसन में आप कुछ मुख्य आसन को जोड सकते हैं, जैसे;-सूर्य नमस्कार, सर्वगसन, प्रहलाद आसन [ जिस प्रकार प्रहलाद एक टांग पर तपस्या करता था ] ध्यान रहे हर आसन करने के बाद यह भाव करे की मेरी गाँठ खत्म हो रही हैं, इतने प्रतिशत खत्म हो रही हैं। यकीन मानो जैसे-जैसे आप यह करते जायेंगे, आपकी गाँठ कम होती जाएंगी। क्योंकि लाभ भावशक्ति में हैं, क्रिया में नही। आसन आपके सभी अंग- अवयवों को मजबूत बनाता हैं। योगासन भूखे पेट ही करें। योग करने से कई चमत्कार मैने अपने जीवन में देखे है।

हर्बल जड़ी – बूटियों द्वारा (gathiya rog ka ilaj baba ramdev)

परम्  पूज्य योगगुरु स्वामी रामदेव जी महाराज  द्वारा बताये इस औषधि का सेवन करे आपको  निश्चित इसका लाभः मिलेंगा।

बनाने की विधि –
शिला सिंदूर 4 ग्राम, प्रवेल पिष्टी 10 ग्राम, ताम्र भस्म 1 ग्राम, अमृता सत 10 ग्राम और मुक्तासूक्ति भस्म 5 ग्राम। इन सबको मिलाकर 60 पुडिया बना देना, और सुबह- शाम खाली पेट शहद (हनी ) के साथ मिलाकर चाटना। इसके अलावा दूसरा विकल्प हैं, आप पतंजलि आरोग्य चिकित्सा या आरोग्य केंद्र जाकर दिव्य वृद्धि वाधीका वटी भी खरीद कर, पतंजलि चिकित्सक के सलाह अनुसार सेवन जरूर करें। गठिया रोग में यह पतंजलि की दवा बहुत लाभ पहुचायेगी। 

गठिया रोग में अपनाये आयुर्वेदिक तरीके (arthritis treatment at home in hindi)

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गठिया में बाजरा उपयोगी हैं। बाजरे की रोटी बनाकर खाये सर्दियों में।

 

● जिस समय इस पोस्ट में लिखी सारी बातों का उपचार करो और जबतक इसे खत्म न कर दो, तब तक घी बिल्कुल ना खाये।

 

● वह सारी चीजें जो शरीर के लिए खराब हैं, उन्हें तुरन्त छोड़ दो। जैसे;- कोल्डड्रिंक, फास्टफूड, रिफाइंड तेल इत्यादि।

 

● सुबह शौच करने जाओ, तब अपनी पेशाब से उस गांठ वाली जगह पर मालिश करें, यह सलाह मुझे एक 70 साल के योगी ने दी थी।

 

● उसके बाद डेयरी के सभी उत्पादो को तिलांजलि दे दो। यह सिर्फ गठिया ही नही अन्य बहुत सारी बीमारियों कारण भी है।

 

● ज्यादा से ज्यादा शुद्ध गोबर खाद के फल, सब्जियों का सेवन करें।

 

● सभी प्रकार के नशे से दूर रहे हैं, क्योकि नशा रोग ही नही अमीरी का भी दुश्मन है।

गाँठ को लेकर चिंता ना करे, दिन में एक दो घण्टा बाहर घूमने जाये, पैदल सैर करें। पैदल घूमने से हमारे शरीर की सभी मांसपेशियों में उर्जा का संचार होता हैं। जिससे शरीर को एक कमाल की एनर्जी मिलती हैं।

 

● हर समय एक जगह पर बैठे नही रहे, हर एक घण्टे में उठकर खुले आसमान में जाये और अच्छे वातावरण का लुफ्त उठाये। क्योकि जब खुले आसमान में रहते हो, तो आपको प्रकृति के पाँच तत्व मिलते हैं, और कहते हैं, जिस इंसान को प्रतिदिन पंचतत्व मिल जाये, वह कभी बीमार पड़ नही सकता और कोई बीमारी हैं, तो वह बहुत जल्दी खत्म हो जाएंगी।

 

● पंचत्व का ताजा उदाहरण मै अपना खुद का ही बताता हूँ, मैं एक गोशाला में 10 दिन गोसेवा करने गया था, तब उस गोशाल के नजदीक में ही खेत था , और वहाँ पर ट्यूवेल खुदी हुई थी, जब में शाम को गाय को बाहर चराने जाता था, तो संध्याकाल में 4 – 5 बजे वहाँ पर एक पाइप लगा हुआ हैं, जहाँ पर शत प्रतिशत शुद्ध मीठा प्राकृतिक जल आता था, तो मैंने सिर्फ दस दिन वह पानी पेट भरकर पीया और पूरे  शरीर का कायाकल्प हो गया।

आयुर्वेद के चार नियमोका पालन करने से भी गठिया रोग ठीक होता है

गेहूँ की जगह मिलेट अनाज खाने की आदत डालें। मिलेट का मतलब गेहूँ को छोड़कर जितने भी अनाज बाजार में आते हैं उनको पीसकर उसके आटे को मिक्स करके पंचदाना आटे की रोटी बनाकर खाना।

FAQ सवाल जवाब

गठिया रोग की क्या पहचान है?

शरीर में कही भी आपको छोटी या बड़ी गांठ होने का अहसास हो तब समझ जाएं की आपको गठिया रोग है।

गठिया रोग क्यों होता है?

  • अत्यधिक मात्रा में शरीर में इंजेक्शन लगवाना तथा अंग्रेजी दवाओं का सेवन करने से।
  • रिफाइंड तेल का सेवन करने से।
  • बाजार की तली-भूनी चीजे खाने से
  • ज्यादा मात्रा में डेयरी उत्पादों का सेवन करने से।

गठिया रोग से बचने के उपाय बताइए

जानिए एक्सपर्ट से गठिया रोग से बचने के 5 उपाय;

  1.  शुद्ध तेल का उपयोग करे (कच्ची घनी का)
  2. सेंधा नमक (Rock Salt) खाये।
  3. शक्कर की जगह देशी खांड या गुड़ का प्रयोग करे।
  4. पेड़ पौधों पर आधारित भोजन अधिक करे।
  5. महीने में एकबार घूमने यात्रा पर जाए।

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गठिया रोग की मेरी कहानी  my story with arthritis Gathiya

मेरा गठिया रोग अलग प्रकार का था। क्या हुआ की लापरवाह पिताजी की एक गलती ने इस रोग को मेरे शरीर में जन्म दिया। कहानी कुछ यूं है एक दिन मुझे बहुत भयंकर वाला बुखार आ गया, मेरे पिताजी मुझे अस्पताल ले जाने की बजाय एक मेडिकल वाले दोस्त के पास लेकर चले गए। उसका नाम मनीष जोशी था। मेरे पिताजी ने उसको बोला की तुझे इंजेक्शन लगाना आता है क्या? वो बेवकूफ चु**या बोला हां आता है। जबकी उसको इसकी कोई जानकारी नहीं थी। उसने उल्टा लिटाकर पिछवाड़े में सुई ठोक दी। जैसे ही उसका इंजेक्शन लगाना हुआ की तुरंत सारी दवाई पानी की धार की तरह मेरे पिछवाड़े उसी समय बाहर निकल गई। वो मनीष जोशी मेडिकल वाला घबरा गया। उसने तुरंत अपने पैसे से दो चार ट्यूब दी और कहा इससे मालिश करना ठीक हो जायेगी। लेकिन ऐसा नही हुआ। लेकिन इस इतनी बड़ी घटना से मेरे लापरवाह बाप को घण्टा ही असर नही पड़ा। ठीक तीन साल मुझे अहसास हुआ की मेरे पिछवाड़े पर एक बड़ी गांठ है ये अंदर थी यदि इसको समय पर ठीक नही किया गया तो भविष्य में यह बड़ी हो सकती है। ऐसे में मैने अपनी रीसर्च शुरू कर दी और हर तरह के घरेलू नुस्खे, नेचुरल उपाय खोजने लगा। इसके बाद हरिद्वार शहर में एक योगी ने मुझे अच्छी सलाह की यदि शरीर में कई गांठ है और वो दर्द नही कर रही तो आप बिलकुल भी चिंता व शंका नही करें। क्योंकी वहम (Doubt) शंका का कोई इलाज नही है। इसके अलावा उन्होंने एक इलाज भी बताया। वो ये की, सुबह जब शौच करने जाओ तब अपने मूत्र से उस गांठ वाली जगह पर मालिश करो। मेरी सलाह है ये काम आप स्नान करने से पहले करे। सुबह जब दो नम्बर जाने जाओ तभी अपने मूत्र पेशाब को हाथ में लेकर उस गांठ पर मसाज करें। इस तरह आज में पूरी तरह गठिया रोग से मुक्त हूँ।

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