पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के अनमोल वचन | Pandit Sriram Sharma Acharya Quotes in Hindi

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के 150 अनमोल वचन 

युगऋषि श्रीराम शर्मा के यह सदवाक्य पढ़कर करोड़ो भारतीयों का जीवन बदल गया। इनके हर शब्द में तप, गहरा चिंतन और त्याग की भावना हैं। गुरुजी अपने ऊपर कठोर और दुसरो के लिए उदार रहते थे। उन्होंने भारत की हर मुख्य समस्या पर एक पुस्तक लिख डाली। उनका एक प्रसिद्ध कथन हैं- 

मन को कुविचारों को से बचाये रखने के लिए संत्सग और स्वाध्याय की व्यवस्था बनाये रखेंगे।

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श्रीराम शर्मा आचार्य के विचार मनुष्य जीवन के ऊपर

 

 असफलता का मतलब हैं, जितना अभ्यास, मेहनत और समय आपको उस काम को देना था। उतना काम आपने नही किया।

 

 मनुष्य जन्म सिर्फ पेट भरने और बच्चा पैदा करने के लिए नही हुआ हैं।

 

● सादा जीवन : उच्च विचार ।

● मनुष्य अपने भाग्य निर्माता स्वंय हैं।

● अगर किसी को उपहार देना ही हैं। तो हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला उपहार दो।

● मनुष्य की पहचान उसके सत्कर्मो और अच्छे विचारों से होंगी।

● नर- नारी में कोई भेदभाव नही करेंगे।

 

 एक स्वस्थ युवा ही सबल राष्ट्र का निर्माण कर सकता हैं।

 

नशा मनुष्य और समाज दोनों को बर्बाद के देता हैं।

 

● मनुष्य को सफल बनने के लिए पहले अपने विचारों को बदलना पड़ेंगा।

● मेरा स्मारक बनाने के बदले जीवन में एक पेड़ लगा देना।

● हर गाँव आदर्श गांव हो, हर आदमी आत्मनिर्भर बने।

● भूख से कम भोजन खाये । मतलब रोज चार रोटी खाते हो तो तीन ही खाये। क्योंकि ज्यादा भोजन करने से शक्तिनही मिलती हैं। जो भोजन अच्छी तरह पच कर रस बन जाता हैं। वही काम आता है।

● प्रतिदिन एक घंटा श्रमदान जरूर करे।

● गपशप नही करे। जप-तप करें।

 

 अगर व्यक्ति जीभ और कामुकता पर नियंत्रण कर ले, तो उसकी  नब्बे 90%  समस्या स्वतः खत्म हो जायेंगी।

 

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के स्वास्थ्य सदवाक्य

 अगर भारत के लोग बाहर शौच करने जाते,  समय साथ में खुरपी (  गड्ढा खोदने का औजार ) भी लेकर जाये, और गड्ढा खोदकर उसमें मल त्यागे बहुत सारी बीमारियों से भी बचा जा सकता हैं। वह मल भी खाद में बदल जाता हैं।

● आसनों और प्राणायाम का  सुंदर योग आसन ” प्रज्ञायोग” जरूर करें।

 

● आसन- प्राणायाम करने से हमारा शरीर हिलता- डुलता हैं। जिससे शरीर में जमा सारी गंदगी कफ, सांस, और मल- मूत्र के द्वार से बाहर निकल जाती है।

 

● कहते हैं, योगी प्राणायाम से अपने मृत्यु को वश में कर देते हैं। और जब तक चाहे, वो जिंदगी जी सकते हैं। प्राणायाम से शरीर की प्राण ऊर्जा बढ़ती हैं।

 

● जो लाभ गाय का घी खाने से मिलते हैं। वही लाभ गाय के घी का दीपक जलाकर प्राणायाम करने से मिलते हैं।

 प्राकृतिक चिकित्सा  शरीर का कायाकल्प करने के लिए सबसे अच्छी चिकित्सा हैं।

आप गायत्री परिवार की शक्तिपीठ ग्राम आँवलखेड़ा पर कम कीमत में करवा सकते हैं। खाना-पीना, रहना और भोजन मुफ्त हैं।

 

● मनुष्य के लिए अस्वाद भोजन ही सर्वश्रेष्ठ हैं। अस्वाद भोजन का मतलब बिना नमक, मिर्ची, शक्कर के बना भोजन।

●  संसार के सभी जीव- जंतु, पशु- पक्षी अपना भोजन बिना मिलावट खाते हैं।

● यज्ञ इस पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। क्योंकि इस से सभी को लाभ मिलता हैं।

● हमेशा पंचगव्य से निर्मित नहाने का साबुन इस्तेमाल करें।

● नियमित रूप से शुद्ध सरसो के तेल से पुरे शरीर पर मालिश करने से आँखों की दृष्टि तेज होती है। सभी अंग पुष्ट होते हैं।

● भोजन करने से पहले तीन बार गायत्री मंत्र का जप जरूर करे।

● कोई भी खाने की चीज खाने के बाद कूल्हा
अवश्य करें। इससे आपके दाँत 100 साल तक टिके रहेंगे।

● आत्मबोध की साधना और तत्त्वबोध की साधना जरूर करें। मतलब हर दिन जन्म और हर दिन मृत्यु।

ऐसा कोई भी खाद्य-पर्दाथ जिस पर मख्खी बैठ गई है। वह खाना फेक दो या बाहर जानवरो को खिला दो। क्योंकी मख्खी को रोग की अम्मा कहा जाता हैं।

सफल जीवन के ऊपर श्रीराम शर्मा

सफल मनुष्य बनना है, तो सबसे पहले अपने कीमती समय को नष्ट करना बंद करो। हर महापुरुष ने अपने समय को व्यवस्थित ढंग से उपयोग कर महानता हासिल की है।

 

आलस-प्रमाद से बचने के लिए सात्विक और भूख से कम भोजन खाये। इससे आपकी कार्यक्षमता बढ़ेंगी।

 

हम कभी स्कूल नही गए लेकिन बाकी सारी किताबे हमने पढ़ी, हमने सभी प्रकार के विशेष ज्ञान को लिया जो एक अच्छे मानव जीवन के लिए जरूरी था।

 

अच्छा हुआ, मैं स्कूल नही गया, वरना मैं भी चूहा दौड़ और भेड़चाल के चक्र में फंस जाता।

 

अगर मैंने स्कूल की शिक्षा ग्रहण कर ली होती तो B.A. करके कही पर नोकरी कर रहा होता। क्या मैंने जो इतना मानवता के लिए काम किया वो कर पाता?

 

एक जीवन मिला है, इसको महानतम से महानतम और श्रेष्ठतर से श्रेष्ठतर कार्य करने में लगाओ।

 

हमारी दिनचर्या कैसी हो – युगऋषि के अनुसार

हर मनुष्य को ब्रह्मूहत (सुबह 3 बजे जागकर)  सबसे पहले आत्मबोध की साधना करनी चाहिए। इसका वर्णन नीचे दी गई शान्तिकुन्ज दिनचर्या लिंक में है।

 

हर रोज शाम को सोने से पहले पूरे दिन का चिंतन करे, की आपने आज पूरे दिन में कितना अच्छा काम किया, कितना समय बर्बाद किया ऐसा करने से आप में जागरूकता बढ़ेंगी और आपका जीवन अच्छा होता चला जायेगा।

 

सुबह स्नान करने के बाद किसी एक देवता का या गायत्री माता का चित्र अपने घर के मंदिर में लगाकर एकबार फूल चढ़ाकर देव पूजन अवश्य करें।

 

प्रकृति के ऊपर वेदमूर्ति श्रीराम के कथन

आचार्य श्रीराम शर्मा की एक पुस्तक है जिसका नाम है “प्रकृति के सहचर” इसमे गुरुजी बोलते है – की जब हिमालय पर साधना करने गया था तो एक समय तो ऐसा लगा की मेरे साथ कोई नहीं है, लेकिन जब मैंने आसपास देखा तो मेरे साथ पशु-पक्षी थे, चिड़िया थी, आसमान था, पेड़-पौधे थे, सूर्य-चंद्रमा थे, तारे थे। तो मैं अकेला कैसे?

 

जब आप शान्तिकुन्ज हरिद्वार जाओगे, तो गायत्री माता मंदिर प्रांगण में एक बहुत सुंदर सुविचार वहाँ पर लगा हुआ है जिसमें गुरुजी बोलते हैं – की जब भी आपको हमारी मूर्ति, स्टेचू अपने गांव-शहर में बनवाने का मन करें तो उसकी जगह एक पेड़ (Tree) लगवा दे। इस बात से यह स्प्ष्ट होता हैं, की हमारे गुरुजी अन्य ऋषि-मुनियों की तरह प्रकृति-प्रेमी थे।

 

शांतिकुज में आपको झरना, कृत्रिम हिमालय, हरियाली, वन-बगीचा, पार्क ये सब दिखेंगा क्योकी इससे लोगो के अंदर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होता है और इन सब से मिलने वाले ऑक्सीजन व खुशियों को गायत्री साधक ग्रहण कर सकें।

 

 

गायत्री मंत्र के लाभ

● जिस भी मनुष्य ने गायत्री और यज्ञ को जीवन में उतार दिया। उसका जीवन सफल है।

● गायत्री मंत्र इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं।

● जब भी थकान, मुसीबत में फँस गये हो, स्वर या मन में जप शुरू कर दो। उस समस्या का समाधान तुरन्त हो जायेंगा।

● भोजन बनाते समय, आटा गूँथते समय गायत्री मंत्र जप करने से वह भोजन अमृत बन जाता हैं वह भोजन पोषित हो जाता हैं।

● लगातार एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से गलत कामो से ध्यान हटता हैं। शरीर को अत्यधिक खुशी मिलती हैं।

● लगातार 12 साल, एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से, उससे प्राप्त उर्जा और शक्ति को अपने अच्छे कर्म में लगाकर सिद्धि प्राप्त की जा सकती हैं।  अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

● भारत के सभी महापुरुष, भगवान राम, कृष्ण, सभी ऋषि-मुनियों ने, अवतारी पुरुषो ने गायत्री मंत्र का जप किया है।

 

आध्यात्मिक ज्ञान पर श्रीराम शर्मा जी

साधना, उपासना और आराधना तीनो आवश्यक हैं।

 

हर दिन मंत्रजप से आपके अंदर और शरीर के रोग, संताप, पीड़ा, दुख, चिंता आदि दूर होते हैं।

 

आध्यात्मिक ज्ञान इंसान को मानसिक और आंतरिक आनंद देता है और आर्थिक वह बिजनेस ज्ञान मनुष्य को पैसा-समृद्वि देता है।

 

हनुमान जी, महात्मा गांधी वह अन्य महापुरुषों ने ब्रह्चर्य का पालन किया था।

 

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