आचार्य बालकृष्ण जी के 30 आयुर्वेदिक नुस्खे | Acharya Balkrishna Quotes & Health Tips

आचार्य बालकृष्ण जी के 30 आयुर्वेदिक नुस्खे | acharya balkrishna ke gharelu nuskhe 

आचार्य बालकृष्ण जी के सदवाक्य आपके जीवन संघर्ष को काफी हदतक कम करने की ताकत रखते है। आचार्य जी ने शून्य से शिखर तक का सफर तय करने में उन्होंने जो कुछ भी सीखा, वो इस पोस्ट के जरिये आप सीखेंगे। आचार्य बालकृष्ण इस समय वर्तमान आयुर्वेद ऋषि और भारत के 8 वे सबसे धनवान व्यक्ति हैं उनके सदवाक्यो को जीवन में उतारकर अपने मानव-जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाये। पतंजलि के सीईओ से लेकर भारत के दस शीर्ष धनीव्यक्ति बनना कोई आम बात नही है। इसलिए इनके सभी सफलता के सूत्र और आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खों को जानना जरूरी है।

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Patanjali Ceo Quotes

 

आचार्य बालकृष्ण जी के घरेलू नुस्खे

● प्राकृतिक जीवन जीने वाला दीर्घायु होता हैं, जबकि प्रदूषित जीवन जीने वाला अल्पायु ।

स्वप्नदोष   – सुबह-सुबह एक गिलास लौकी का रस पीयें। दूसरा उपाय हैं, सपने में जब पहली बार गंदे -अश्लील चित्र दिमाग में दिखे, तो उसी समय उठकर, अपनी सुबह की दिनचर्या ( नहाना, कुछ काम करना, पढ़ना) पर लग जाओ  या नाम का उच्चारण करो। इससे आप वीर्य-स्खलन से बच जाओंगे। वह काफी ऊर्जा नष्ट होने से बच जायेंगी।

 

● शारिरिक-मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए पर्याप्त व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान व विश्राम करने वाले व्यक्ति अपनी बढ़ी हुई शक्ति के द्वारा अधिक काम कर, उतने ही अनुपात में सफलता प्राप्त कर सकता हैं।

 

● यदि आपके मुँह से दुर्गन्ध आती हैं, तो उसे दूर करने के लिए थोड़ा सा भुना जीरा धीरे-धीरे चूसते हुए चबा-चबाकर खाए।

 

● सेब का पेड़ बहुत गुणकारी है। अगर आपके पास खेत या फार्म हाउस हो तो, सेब का पेड़ अवश्य लगाएं, इस पेड़ के पत्ते भी विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए काम में लिये जाते हैं।

 

● कुछ औषधीय पौधे जो आपके घर/खेत  में अनिवार्य होने जरूरी है जिसमें ग्वारपाठा (एलोवेरा), तुलसी (वन, श्याम और सामान्य) तीनो प्रकार की। इन तीनो पौधों के जब आप लाभ पढ़ेंगे, तो आपकी बुद्वि चकरा जाएगी।  इन तीनो पौधों में 150 से ज्यादा छोटी-मोटी बीमारियों को खत्म करने की क्षमता है।

आचार्य बालकृष्ण जी की जड़ी बूटी (acharya balkrishna ayurveda tips in hindi)

1. रक्त केंसर  के रोगियों को गेहूं के ज्वारे के साथ गिलोय स्वरस मिलाकर दिया तो देखा, की ब्लड कैंसर के रोगियों में बहुत लाभ हुआ।

 

2. गिलोय को पानी में घिसकर गुनगुना करके कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल निकल जाता हैं। वह गठिया रोग में – 2-5 ग्राम गिलोय चूर्ण को दूध के साथ दिन में दो-तीन बार देने से गठिया में लाभ होता है।

 

3. पपीते के दूध ( आक्षीर ) को जीभ पर लगाने से जीभ पर होने वाला घाव जल्दी भर जाता हैं। वह कंठ रोग में- पपीता से प्राप्त दूध को जल में मिलाकर गरारा करने से गले  के रोगों में लाभ होता हैं।

 

4. तिल और मिश्री को उबालकर पिलाने से सूखी खांसी मिटती हैं। वह बच्चों का मूत्र रोग- रात्रि में बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं। उनके लिए तिल का लंबे समय तक सेवन बहुत लाभकारी हैं।

 

5.  विष चिकित्सा – तिल औऱ हल्दी को पानी में पीसकर लेप करने से मकड़ी का विष दूर होता हैं। तिल को पानी में पीसकर लेप करने से बिल्ली का विष तथा सिरके में पीसकर मलने से भिरड़ ( बरैं ) का विष दूर होता हैं।  इस प्रकार सर्दियों में तिल व तिल के तेल का उपयोग करें और शरीर के अंग,-प्रत्यंग को स्वस्थ पोषण दे।

 

6.  नेत्र रोगों में  5-10 तुलसी पत्र स्वरस को दिन में कई बार आँखों में डालने से रतौंधी  में लाभ मिलता हैं। तुलसी का पौधा मलेरिया प्रतिरोधी हैं। तुलसी के पौधों के संपर्क में आने से हवा में कुछ ऐसा प्रभाव आता हैं, की मलेरिया के मच्छर वहाँ से भाग जाते हैं।

 

7. दूर्बा (रामघास) पौधा- दूब को मिश्री के साथ घोट छान कर पिलाने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता हैं।

 

8. बेल के कोमल पत्र निरोगी गाय के मूत्र में पीसकर तथा चार गुना तिल तैल तथा 16 गुणा बकरी का दूध मिलाकर मंद (कम) आग पर पकाकर तैल मात्र शेष रहने पर छान के रख लें। इसे नित्य कानो में डालने से बहरापन, सनसनाहट, कानो की खुश्की, खुजली आदि दूर होती हैं।

 

9. लौंग के सेवन से भूख बढ़ती हैं। अमाशय की रस क्रिया को बल मिलता हैं। लौंग पेट के कीड़ो को खत्म करता हैं। यह शरीर की बदबू को दूर करता हैं।

 

आचार्य बालकृष्ण जी के 15 सफलता सूत्र (Patanjali Ceo Success Rule)

1.) ज्ञान के अनुरूप संकल्प, संकल्प के अनुरूप इच्छा, इच्छा के अनुरूप कर्म और कर्म के अनुरूप ही फल प्राप्त होता हैं।

 

2.) एक ही जिंदगी में व्यक्ति सारे कामो में सफल नही हो सकता, लेकिन जिसमें वह सफल हो सकता हैं, उसे करने के लिए भी उसके पास बेसिक ज्ञान का होना अनिवार्य हैं।

 

3. मैं एक ऐसे परिवार में पैदा हुआ, जहाँ पर सारी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, इसके बावजूद आज भारत वह दुनिया में आचार्य जी का नाम विख्यात हैं इसलिए  आपकी जैसी भी वर्तमान की परिस्थितिया हो, आप उसे बदल सकते हैं।

 

4. मुझे तो आज भी प्रकृति माता की गोद में खेलने का आनंद आता है। मैं, जंगल, झरने, पेड़-पौधों के बगैर बिल्कुल नही रह सकता।

 

5.  किसी वस्तु की प्राप्ति की इच्छा जितनी तीव्र होंगी, व्यक्ति उतनी ही शीघ्रता से कर्म कर उस वस्तु को प्राप्त कर लेंगा।

 

6. उपलब्धि और सुख की जितनी बडी चाह मन में होंगी, उसे पूरा करने के लिए बड़ा पुरुषार्थ भी करना पड़ेंगा।

 

7. मंजिल सदा उन्ही को मिलती हैं, जो उसे पाने की राह पर चलते हैं।

 

8.  योजनाबद्ध तरिके से आदमी सफलता, समृद्धि और सुख- शान्ति को प्राप्त कर सकता हैं।

 

9. घण्टे और मिनट देख- देखकर कार्य करने वाला आदमी घण्टे और मिनट के हिसाब से ही प्रगति करता हैं।

 

10. प्रतिकूलता में बिना रुके तेजी से भागने वाला व्यक्ति, अनूकूलता में तो और भी तेजी से भागता हैं।

 

11. जो व्यक्ति जितना अधिक सांसारिक सुख- भोग की इच्छाओं में डूबता जाएंगा। वह अपने लक्ष्य से उतना ही अधिक दूर होता हैं।

 

12. बड़े काम करने वाले लोग मोह-माया, अभिमान आदि आंतरिक विकारों से परे होता हैं।

 

13. मोह, राग, हिंसा और झूठ जैसे दुर्गुण जितने कम होंगे, हम परमात्मा के उतने निकट जायेंगे।

 

14. वैराग्य भाव हो तो व्यक्ति मुसीबतों में भी मस्ती से काम करता हैं

 

15. उत्साह हमारे अंदर बाधाओं से टकराने और तेज गति से काम करने की ऊर्जा पैदा कर सफलता की और तेजी से ले जाता हैं।

 

16. आप कोई भी उत्पाद बाजार में बेच रहे हो पहले खुद उपयोग करो/ फिर परिवार को उपयोग करवाओ उसके बाद ही बाजार में सेेेल करो। विदेशी कंपनियों ने भारत को बाजार बना दिया है।

हमारी दिनचर्या कैसी हो? (acharya balkrishna speech on daily routine)

1.आयुर्वेद के अनुसार प्रातःकाल उठकर नहाने के बाद या पहले अपनी हथेलियों को देखे, अपने चेहरे को काँच में देखे।

2. शाम को 9 बजे सोने की आदत डाले सुबह जल्दी उठने के लिए।

3. अगर दिनचर्या व्यवस्थित होगी, तो जीवन व्यवस्थित, मन में एकाग्रता और शांति होंगी, जिससे सफलता की राह में बढना भी आसान होंगा।

4. सेहतमंद आदमी ही लगातार प्रगति करने, दुःखो से मुक्ति पाने और सुखों का आनंद उठाने में सक्षम होता हैं।
5. मोटापा, बी.पी, मधुमेह आदि वेस्टर्न लाइफस्टाइल से जन्मी बीमारियों को, अपनी दिनचर्या व खान-पान को सही करके इसे रोका जा सकता हैं
6. बाजरा, ज्वार, गेहूँ आदि अनेक अनाजो को मिलाकर खाने से हम कुपोषण से होने वाले बहुत सारे रोगों से बच सकते हैं।
7. आँवले का रस हमारी कब्ज, बालो का झड़ना, कमजोर नजर आदि समस्याओं का नेचुरल उपचार है।
8. शुद्ध सात्विक भोजन से व्यक्ति सेहतमंद, कार्य मे समर्थ और फिर सफल होता हैं।
9. थकान, तनाव, सिरदर्द, मोटापा, कब्ज, आदि 20 रोगों का एक कारण हैं- फास्टफूड और जंकफूड।

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स्वदेशी कोट्स आचार्य बालकृष्ण जी

● हमें इस देश में दम तोड़ रही स्वदेशी चिकित्सा, देश की भाषा, स्वदेशी शिक्षा, स्वदेश की संस्कृति, स्वदेश की अर्थव्यवस्था, स्वदेशी कृषि और सभ्यता को गौरव दिलाने के लिए सबको एकजुट होना पड़ेंगा।

● आज भी देश देश में ईस्ट इण्डिया कंपनी की तरह ही हजारो कंपनीया देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक तौर पर खोखला करने में लगी हैं।

● शून्य तकनीक की विदेशी वस्तुओं के 100 प्रतिशत बहिष्कार का संकल्प करें।

● आज भी लगभग 50 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कंपनियों का कब्जा हैं। वह 20 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर चीन का कब्जा हैं।

● यूरोप और दुनिया के ताकतवर देश भारत को एक बाजार समझ कर, यहाँ लूटमार और तरह-तरह के अत्याचार करने में लगे हुए

● विदेशी दासता की देश में कोई जगह नही। देश का हर युवा किसी एक स्वदेशी वस्तु का कारोबार करे, और उसे पूरे विश्व तक लेके जाये।

 

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